भारतीय जनता पार्टी (BJP) की महाराष्ट्र इकाई द्वारा वीडी सावरकर (VD Savarkar) को भारत रत्न देने की मांग पर सियासी घमासान छिड़ गया है. अब महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी (Tushar Gandhi) ने सावरकर को भारत रत्न देने की मांग पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, 'ऐसे वक्त में जब बापू के हत्यारों के संरक्षक को भारत रत्न देने की मांग की जा रही है, तब हमें बापू की हत्या के पीछे के वास्तविक उद्देश्यों और साजिश को समझने की जरूरत है.' तुषार गांधी ने कहा, 'सावरकर को भले ही इस मामले में बरी कर दिया गया हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि कोर्ट ने उन्हें निर्दोष करार दिया था. कोर्ट ने सिर्फ यह कहा था कि हमारे पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं. जब 'संघियों' द्वारा सावरकर को भारत रत्न देने की मांग की जा रही है, तब हमें इस तथ्य को याद रखना चाहिए.
Tushar Gandhi: Savarkar may have been acquitted in the case, but Court did not pronounce him innocent. The court only said that we've not had enough evidence presented to us to prove his guilt beyond doubt.We must remember this while Sanghis contemplate giving him Bharat Ratna. https://t.co/DvHgkKnr8p
— ANI (@ANI) October 25, 2019
दरअसल, बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा था कि पार्टी केंद्र सरकार से वीडी सावरकर को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने को कहेगी. इसके बाद इस मसले पर सियासी घमासान छिड़ गया है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Dr Manmohan Singh) ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस वीर सावरकर की विचारधारा के खिलाफ है. उन्होंने कहा,‘सावरकर जी ने जिसे संरक्षण दिया और जिसका समर्थन करते रहे' कांग्रेस उसके पक्ष में नहीं है. डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने कहा कि इंदिरा गांधी ने बतौर प्रधानमंत्री सावरकर (Veer Savarkar) की याद में डाक टिकट जारी किया था. हम सावरकर जी के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उस विचारधारा के खिलाफ हैं, जिसके पक्ष में वे (सावरकर) खड़े थे.
पूर्व PM डॉ. मनमोहन सिंह बोले, हम वीर सावरकर के खिलाफ नहीं, लेकिन उनकी विचारधारा...
हालांकि बीते दिनों बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति इतिहास न बनती और उसे भी हम अंग्रेजों की दृष्टि से ही देखते. उन गृहमंत्री ने कहा, 'वीर सावरकर ने ही 1857 की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम देने का काम किया वरना आज भी हमारे बच्चे उसे विद्रोह के नाम से जानते.' उन्होंने कहा, 'वामपंथियों को, अंग्रेज इतिहासकारों को दोष देने से कुछ नहीं होगा. हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा. क्या इतिहासकार पुर्नलेखन नहीं कर सकते हैं. कोई नही रोकता है.'
सावरकर ने दी थी 'टू नेशन' की थ्योरी: मणिशंकर अय्यर
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