अरविंद केजरीवाल का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाए जाने को लेकर उपराज्यपाल के साथ चल रही जंग के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस और सीपीएम का साथ मिलता दिखा। और इसके बाद केजरीवाल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने का समय मांगा है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति से मिलकर केजरीवाल इस मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे और उपराज्यपाल नजीब जंग के जरिए केंद्र के दखल का मुद्दा उठाएंगे। फिलहाल राष्ट्रपति उत्तराखंड में हैं और माना जा रहा है कि मंगलवार को उनके दिल्ली लौटने के बाद केजरीवाल के निवेदन पर बात आगे बढ़ेगी।
इससे पहले रविवार को कांग्रेस नेता और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय माकन ने कहा कि कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री की इच्छा के अनुरूप की जानी चाहिए थी। माकन ने उप राज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच टकराव का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह के टकराव से नौकरशाहों का उत्साह बुरी तरह प्रभावित होता है जो एक गहरी चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र में निर्वाचित सरकार के मत का सम्मान होना चाहिए। अधिकारियों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री का अधिकार होना चाहिए। उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच समुचित तालमेल होना चाहिए।'
वहीं, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि इस मामले में केंद्र को राज्यों के अधिकारों में अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'अगर केंद्र उपराज्यपाल के जरिए राज्य सरकार के अधिकारों में अतिक्रमण करेगा और अगर वह राज्य के अधिकारों पर हमला बोलेगा तो यह गलत है। हम इसका विरोध करते हैं।'
उधर, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने आम आदमी पार्टी पर पूर्वोत्तर के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन अधिकारी की नियुक्ति नियमों के अनुसार उपराज्यपाल ने की है और दिल्ली सरकार बिना सबूत के उनके खिलाफ आरोप लगा रही है।
उन्होंने कहा, 'यह कुछ नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर की एक महिला आईएएस अधिकारी का चरित्र हनन है। वे कह रहे हैं कि वह अक्षम हैं। उनके खिलाफ क्या आरोप हैं? अगर वह किसी भ्रष्टाचार में शामिल हैं, तो उनके खिलाफ आरोप तय कीजिए। उनके खिलाफ सार्वजनिक बयान देकर वे बस चरित्र हनन करने में लगे हैं, यह पूर्वोत्तर के लोगों का अपमान है।'
हालांकि आप के विधायक और पार्टी की दिल्ली इकाई के सचिव सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल नजीब जंग केन्द्र की शह पर काम कर रहे हैं। उन्होंने रिजिजू के बयान पर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा, 'इसका महिला के चरित्र से कोई लेनादेना नहीं है और इसका उस क्षेत्र से भी कोई लेनादेना नहीं है जहां से वह आती हैं। यह बेवकूफी की हद है कि इस तरह के मामले उठाये जाएं।'
इससे पहले रविवार को कांग्रेस नेता और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय माकन ने कहा कि कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री की इच्छा के अनुरूप की जानी चाहिए थी। माकन ने उप राज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच टकराव का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह के टकराव से नौकरशाहों का उत्साह बुरी तरह प्रभावित होता है जो एक गहरी चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र में निर्वाचित सरकार के मत का सम्मान होना चाहिए। अधिकारियों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री का अधिकार होना चाहिए। उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच समुचित तालमेल होना चाहिए।'
वहीं, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि इस मामले में केंद्र को राज्यों के अधिकारों में अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'अगर केंद्र उपराज्यपाल के जरिए राज्य सरकार के अधिकारों में अतिक्रमण करेगा और अगर वह राज्य के अधिकारों पर हमला बोलेगा तो यह गलत है। हम इसका विरोध करते हैं।'
उधर, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने आम आदमी पार्टी पर पूर्वोत्तर के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन अधिकारी की नियुक्ति नियमों के अनुसार उपराज्यपाल ने की है और दिल्ली सरकार बिना सबूत के उनके खिलाफ आरोप लगा रही है।
उन्होंने कहा, 'यह कुछ नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर की एक महिला आईएएस अधिकारी का चरित्र हनन है। वे कह रहे हैं कि वह अक्षम हैं। उनके खिलाफ क्या आरोप हैं? अगर वह किसी भ्रष्टाचार में शामिल हैं, तो उनके खिलाफ आरोप तय कीजिए। उनके खिलाफ सार्वजनिक बयान देकर वे बस चरित्र हनन करने में लगे हैं, यह पूर्वोत्तर के लोगों का अपमान है।'
हालांकि आप के विधायक और पार्टी की दिल्ली इकाई के सचिव सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल नजीब जंग केन्द्र की शह पर काम कर रहे हैं। उन्होंने रिजिजू के बयान पर उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा, 'इसका महिला के चरित्र से कोई लेनादेना नहीं है और इसका उस क्षेत्र से भी कोई लेनादेना नहीं है जहां से वह आती हैं। यह बेवकूफी की हद है कि इस तरह के मामले उठाये जाएं।'
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