
रक्षामंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि पिछले कुछ सालों से रक्षा का आधुनिकीकरण 'धीमा' पड़ा है और सशस्त्र सेनाओं को आवश्यक उपकरण तेजी से मुहैया कराने को मोदी सरकार प्राथमिकता देगी।
जेटली के पास मुख्य रूप से वित्त एवं कापरेरेट मामलों का मंत्रालय है। इसके साथ ही उन्हें रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि 'कुछ ही हफ्तों में' मंत्रिपरिषद का विस्तार होने पर रक्षा मंत्रालय को भी पूर्णकालिक मंत्री मिल जाएगा।
रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण करने के समय जेटली ने कहा, 'हम निश्चित रूप से चिंतित हैं कि पिछले कुछ सालों से ये क्षेत्र धीमे पड़े हैं और इसलिए उनमें गति लाना मुख्य प्राथमिकता होगी।' उन्होंने इस संबंध में विस्तार से कुछ नहीं कहा, लेकिन उनका संकेत संभवत: 126 बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान, 197 हल्के हेलिकॉप्टर जैसी आधुनिक शस्त्र प्रणालियों और अन्य जरूरी उपकरणों की खरीद में काफी समय से हो रहे विलंब से है। पूर्व रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी के कार्यकाल में इनकी खरीद किसी न किसी कारण से रुकी पड़ी थी ।
रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की 26 फीसदी की सीमा बढ़ाने की मांग पर जेटली ने कहा कि इस मुद्दे पर गहराई से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके दो पहलू हैं और उनके दोनों विभागों (वित्त और रक्षा) द्वारा इस पर गौर किया जाना है। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में आज ही शुरुआती चर्चा कर चुके हैं और मामले पर गहराई से विचार होने से पहले वह इस बारे में और कुछ नहीं कहना चाहेंगे।
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