नई दिल्ली:
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने गुरुवार को कहा कि स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस का विनिर्माण अगले साल तक पूरी क्षमता से शुरू हो जाएगा और अन्य देशों ने इस विमान में रुचि दिखाई है। पर्रिकर ने एनसीसी के गणतंत्र दिवस शिविर में संवाददाताओं को बताया, ‘मेरी प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, इसे दूसरे देशों द्वारा सराहा गया है, जो कि इसमें रुचि दिखा रहे हैं। अगले साल तक हम इसका पूरी क्षमता के साथ निर्माण शुरू कर रहे हैं।’ तेजस का पिछले तीन दशकों से निर्माण किया जा रहा है और निर्यात के क्षेत्र में संभावनाओं को तलाशने की भारत की उम्मीद के तहत इस समय वह बहरीन अंतरराष्ट्रीय एयरशो में भाग ले रहा है।
यह एकल ईंजन वाला, हल्के वजन वाला, बेहद फुर्तीला और बहुत सी भूमिकाओं को निभाने में सक्षम सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है। तेजस 4.5 जनरेशन का विमान है, जो कि हर ऊंचाई पर सुपरसोनिक क्षमता से लैस है। भारतीय वायुसेना में शामिल होंगे 120 विमान
भारतीय वायुसेना की योजना 120 तेजस विमान हासिल करने की है, जिनमें से 100 विमानों में कुछ बड़े बदलाव होंगे। इसके तहत वह बेहतर रडार प्रणाली, नया इलेक्ट्रॉनिक जंगी सूट, ईंधन भरने की क्षमता और संशोधित मिसाइलें चाहता है। इस हल्के लड़ाकू विमान पर भारतीय वायुसेना के पायलटों का प्रशिक्षण पहले ही शुरू हो चुका है। डीआरडीओ ने तेजस का नौसैन्य प्रतिरूप तैयार किया है। नौसेना अन्य बदलावों के अलावा एक ज्यादा शक्तिशाली इंजन चाह रही है।
विनिर्माण की योजना के तहत, इस साल (2015-16) में छह विमान बनाए जाएंगे और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इस संख्या को प्रतिवर्ष बढ़ाकर पहले आठ और फिर 16 करेगा। ऐसा आकलन है कि विमान का पहला स्कवाड्रन बनाने के लिए 2017-18 तक 20 विमानों का निर्माण कर लिया जाएगा।
एलसीए कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1983 में की गई थी, ताकि वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में शामिल पुराने मिग-21 विमानों को हटाया जा सके। लेकिन इस कार्यक्रम ने विभिन्न वजहों के चलते कई समयसीमाओं का उल्लंघन किया है।
पाकिस्तानी जेएफ-17 से मिल रही है टक्कर
भारत का लक्ष्य तेजस का विक्रय करने का भी है, ऐसे में उसे पाकिस्तान के जेएफ-17 से टक्कर मिल रही है। जेएफ-17 का निर्माण चीन के सहयोग से किया गया है। इस विमान को पहले ही खुले बाजार में पेश किया जा चुका है और ऐसा समझा जाता है कि एक एशियाई देश ने इसमें रुचि भी दिखाई है।
हालांकि श्रीलंका ने हाल में उन खबरों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि उसने एक पाकिस्तानी विमान में रुचि दिखाई है।
यह एकल ईंजन वाला, हल्के वजन वाला, बेहद फुर्तीला और बहुत सी भूमिकाओं को निभाने में सक्षम सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है। तेजस 4.5 जनरेशन का विमान है, जो कि हर ऊंचाई पर सुपरसोनिक क्षमता से लैस है।
भारतीय वायुसेना की योजना 120 तेजस विमान हासिल करने की है, जिनमें से 100 विमानों में कुछ बड़े बदलाव होंगे। इसके तहत वह बेहतर रडार प्रणाली, नया इलेक्ट्रॉनिक जंगी सूट, ईंधन भरने की क्षमता और संशोधित मिसाइलें चाहता है। इस हल्के लड़ाकू विमान पर भारतीय वायुसेना के पायलटों का प्रशिक्षण पहले ही शुरू हो चुका है। डीआरडीओ ने तेजस का नौसैन्य प्रतिरूप तैयार किया है। नौसेना अन्य बदलावों के अलावा एक ज्यादा शक्तिशाली इंजन चाह रही है।
विनिर्माण की योजना के तहत, इस साल (2015-16) में छह विमान बनाए जाएंगे और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इस संख्या को प्रतिवर्ष बढ़ाकर पहले आठ और फिर 16 करेगा। ऐसा आकलन है कि विमान का पहला स्कवाड्रन बनाने के लिए 2017-18 तक 20 विमानों का निर्माण कर लिया जाएगा।
एलसीए कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1983 में की गई थी, ताकि वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में शामिल पुराने मिग-21 विमानों को हटाया जा सके। लेकिन इस कार्यक्रम ने विभिन्न वजहों के चलते कई समयसीमाओं का उल्लंघन किया है।
पाकिस्तानी जेएफ-17 से मिल रही है टक्कर
भारत का लक्ष्य तेजस का विक्रय करने का भी है, ऐसे में उसे पाकिस्तान के जेएफ-17 से टक्कर मिल रही है। जेएफ-17 का निर्माण चीन के सहयोग से किया गया है। इस विमान को पहले ही खुले बाजार में पेश किया जा चुका है और ऐसा समझा जाता है कि एक एशियाई देश ने इसमें रुचि भी दिखाई है।
हालांकि श्रीलंका ने हाल में उन खबरों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि उसने एक पाकिस्तानी विमान में रुचि दिखाई है।
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