नीतीश को छोड़ किसी के साथ भी कर सकते हैं गठबंधन : जीतन राम मांझी

जीतन राम मांझी का फाइल फोटो

नई दिल्ली:

बिहार की राजनीति में एक बार फिर से उबाल आता नजर आ रहा है और इसकी वजह है राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा नाम से नई पार्टी बनाने वाले जीतन राम मांझी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाक़ात की।

7 रेसकोर्स में प्रधानमंत्री से मुलाक़ात के बाद जीतन राम मांझी ने कहा है कि नीतीश कुमार से अलग किसी भी गठबंधन की मदद ले भी सकते हैं और जरूरत पड़ने पर दे भी सकते हैं यानि जीतन राम मांझी ने अपने सभी पत्ते खोल रखे हैं।

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देखें वीडियो : नीतीश के अलावा किसी से भी कर सकते हैं गठबंधन : मांझी
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किसानों का मुद्दा उठाया
इस मुलाक़ात के बाद मांझी ने प्रधानमंत्री को समय देने के लिए धन्यवाद भी दिया और कहा कि उनकी मुलाक़ात की एकमात्र वजह बिहार में किसानों की खराब होती स्थिति है। मांझी के मुताबिक, पिछले कुछ समय से बिहार में भी किसानों ने बदहाली के कारण आत्महत्या का रास्ता अख़्तियार करना शुरू कर दिया है। मांझी के अनुसार, ऐसा बिहार में आज़ादी के बाद पहली बार हुआ है कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
 
जीतन राम मांझी ने यह भी कहा कि बिहार में धान की बिक्री में भी काफी गड़बड़ियां पाई गई हैं, जिससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत नहीं मिल पाई है। मांझी के अनुसार, उन्होंने इसकी जांच सीबीआई से कराने की भी मांग लगातार की है, जिसकी अनदेखी की गई।

मांझी ने नालंदा, बिहटा और नौबतपुर में किसानों के साथ हुए अत्याचार का भी ज़िक्र किया, जिसे वह प्रधानमंत्री को बताना चाहते हैं।

बीजेपी के सभी विकल्प खुले
हालांकि, कुछ दिन पहले ही मांझी और पप्पू यादव से संबंधित एक सवाल के जवाब में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने साफ़ कहा था कि बीजेपी ने बिहार में अपने विस्तार से संबंधित सभी विकल्प खुले रखे हैं। मांझी इससे पहले भी कई बार बीजेपी के शीर्षस्थ नेताओं जिनमें राजनाथ सिंह, अमित शाह और ख़ुद पीएम मोदी शामिल हैं, उनसे मिल चुके हैं।

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ऐसा समझा जा रहा है कि बीजेपी और मांझी के बीच एक समझ विकसित हो चुकी है, जिसके तहत बीजेपी बिहार के दलित वोट को हासिल करने के लिए मांझी की पार्टी के साथ समझौता कर सकती है।
 
बीजेपी कहीं न कहीं मांझी के जरिये दलित नेता के अपमान का मुद्दा उठाकर दलित वोटों के ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश करेगी। बीजेपी को लगता है कि एक दलित नेता के साथ नीतीश कुमार के द्वारा किए गए दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाकर वह कहीं न कहीं नीतीश के वोट बैंक को कमज़ोर करने में सफल रहेगी। मांझी 29 मई तक दिल्ली में हैं और इस दौरान वे बीजेपी और केंद्र के कई अन्य नेताओं से भी मुलाक़ात करेंगे।