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This Article is From Apr 29, 2012

'विदेशी दौरे रिश्तों को बनाने के लिए महत्वपूर्ण थे'

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने बड़ी संख्या में विदेश दौरों को लेकर हुई आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि वह अपनी मर्जी से बाहर नहीं गईं, बल्कि सरकार के आग्रह पर भारत के रिश्तों को बढ़ावा देने के लिए ये यात्राएं कीं।

सेशल्स और दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर रवाना होने के बाद अपने साथ जा रहे संवाददाताओं से बातचीत करते हुए प्रतिभा ने यह बात कही। बतौर राष्ट्रपति यह उनका आखिरी विदेश दौरा है। वह 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हो रही हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार चाहती थी कि मैं दो-तीन और देशों का दौरा करूं, लेकिन वक्त की कमी के कारण ऐसा संभव नहीं था।’

प्रतिभा ने कहा कि आज का दौर परस्पर निर्भरता का है और कोई भी देश अकेले नहीं चल सकता, बल्कि उसे दूसरों के साथ रिश्ते को बढ़ाना होगा।

भारत के बड़े बहुमत से सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य चुने जाने का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यही वजह है कि नए दोस्त बनाना और पुरानों के साथ रिश्तों को सुधारना बहुत जरूरी है।

यह पूछे जाने पर कि अब तक के अपने 22 देशों के दौरे के बारे में क्या कहेंगी, तो उन्होंने कहा, ‘ये दौरे भारत की वैश्विक स्तर पर बढ़ती छवि को बढ़ावा देने और दूसरे देशों के साथ भारत के रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए बेहद सफल रहे हैं।’

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