तृणमूल कांग्रेस सांसद तापस पाल के महिलाओं के खिलाफ बयान को 'अपमानजनक' और सभ्यता की सारी हदों को पार करने वाला बताते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का सोमवार को आदेश दिया और सीआईडी को अदालत की निगरानी में मामले की जांच करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने चुनावी रैली में महिलाओं और अन्य विपक्षी पार्टी के समर्थकों के खिलाफ पाल के बयान की सीआईडी जांच की मांग करने वाली याचिका पर अपना आदेश सुनाते हुए सांसद के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को भी आड़े हाथों लिया। न्यायाधीश ने कहा कि यह 'इस बात का इशारा करता है कि राज्य में किस हद तक अराजकता पहुंच गई है।'
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय पश्चिम बंगाल सरकार के इस रख के मद्देनजर जांच की निगरानी करेगा कि शिकायत किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करती है और राज्य ने सांसद का समर्थन करने का प्रयास किया।
न्यायमूर्ति दत्ता ने नदिया जिले में नक्शीपाड़ा थाने के प्रभारी निरीक्षक को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता बिप्लब चौधरी की एक जुलाई की शिकायत को प्राथमिकी माना जाए। चौधरी पाल के नदिया जिले में स्थित कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र के निवासी हैं।
न्यायाधीश ने गौर किया कि तापस पाल ने महिलाओं के साथ बलात्कार और विपक्षी पार्टी के समर्थकों की हत्या और उनके वंश का नाश करने की धमकी दी थी, अगर उन्होंने उनकी पार्टी के समर्थकों से भिड़ने की कोशिश की।
अदालत ने कहा 'श्री पाल द्वारा दिया गया भाषण घृणित है और सभ्यता की सारी हदों को पार करता है।' न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'ऐसा लगता है कि संवैधानिक आचार का श्री पाल पर बहुत थोड़ा प्रभाव है, अन्यथा उन्होंने इस भद्दे तरीके से संविधान का निरादर नहीं किया होता।'
अदालत ने कहा, 'अगर कानून बनाने वाला कानून तोड़ने वाला बन जाए और कानून लागू करने वाली एजेंसी सूचित किए जाने के बावजूद आंखें मूंद ले तो क्या कोई सभ्य देश इसे बर्दाश्त कर सकता है।'
उन्होंने कहा, 'तत्काल कार्रवाई नहीं करने के प्रति पुलिस की उदासीनता इस बात की ओर इशारा करती है कि राज्य में किस हद तक अराजकता व्याप्त हो गई है।'
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