![खुदकुशी करने से पहले किसान ने चंद्रबाबू नायडू को दिया साढ़े पांच करोड़ की बस का ताना खुदकुशी करने से पहले किसान ने चंद्रबाबू नायडू को दिया साढ़े पांच करोड़ की बस का ताना](https://i.ndtvimg.com/i/2015-09/simhadri-venkateshwar-rao-ndtv-650x488_650x488_71443015410.jpg?downsize=773:435)
हैदराबाद:
आंध्र प्रदेश के तम्बाकू किसान सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव ने भी देश के सैकड़ों अन्य किसानों की तरह खुदकुशी कर ली, लेकिन उसने एक काम ऐसा किया, जो खुदकुशी करने वाले बाकी किसानों ने नहीं किया था। सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव ने आत्महत्या करने से एक सप्ताह पहले राज्य के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को खत लिखकर सवाल पूछा था कि अगर वह अपनी सुरक्षा के लिए एक बस को अपने हिसाब से बनवाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर सकते हैं, तो क्या एक किसान की ज़िन्दगी की कीमत कुछ नहीं है...?
राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी भेजे गए इस खत में सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव ने चेताया भी था, "अन्य किसानों की खातिर, मैं अपने प्राण न्योछावर करने के लिए तैयार हूं..." और मंगलवार को उसने कीड़े मारने की दवा खाकर जान दे दी।
पश्चिमी गोदावरी का रहने वाला 49-वर्षीय सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव बच्चों की पढ़ाई, दवाओं के खर्च और किराये की वजह से गले तक कर्ज़ में डूबा हुआ था। उसने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है, लेकिन मुख्यमंत्री को लिखी उसकी आखिरी चिट्ठी बहुत स्पष्ट इशारा थी।
उसने लिखा था, "मुख्यमंत्री ने खुद की सुरक्षा के लिए (राज्य परिवहन की) एक बस को मॉडिफाई करने में साढ़े पांच करोड़ रुपये खर्च कर दिए... जहां उनकी जान इतनी कीमती है, वहीं एक तम्बाकू किसान की आत्महत्या उसके परिवार को सड़क पर ले आएगी... क्या यह मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी नहीं कि वह सुनिश्चित करें कि एक भी किसान आत्महत्या न करे...?"
![](https://i.ndtvimg.com/i/2015-09/chandrababu-naidu-bus_650x400_51443015186.jpg)
सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव के मुताबिक, लगभग 14,000 तम्बाकू किसान उसी की तरह कर्ज़े में डूबे हैं, और उन्होंने "आत्महत्या करना शुरू कर दिया है..."
पुलिस का कहना है कि राव कुछ पारिवारिक समस्याओं का भी सामना कर रहा था, और लगभग तीन महीने पहले ही अपनी पत्नी से अलग हो चुका था। गौरतलब है कि हालिया महीनों में देशभर में हुईं किसान आत्महत्याओं में से सबसे ज़्यादा मामले आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही सामने आए हैं।
राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी भेजे गए इस खत में सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव ने चेताया भी था, "अन्य किसानों की खातिर, मैं अपने प्राण न्योछावर करने के लिए तैयार हूं..." और मंगलवार को उसने कीड़े मारने की दवा खाकर जान दे दी।
पश्चिमी गोदावरी का रहने वाला 49-वर्षीय सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव बच्चों की पढ़ाई, दवाओं के खर्च और किराये की वजह से गले तक कर्ज़ में डूबा हुआ था। उसने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा है, लेकिन मुख्यमंत्री को लिखी उसकी आखिरी चिट्ठी बहुत स्पष्ट इशारा थी।
उसने लिखा था, "मुख्यमंत्री ने खुद की सुरक्षा के लिए (राज्य परिवहन की) एक बस को मॉडिफाई करने में साढ़े पांच करोड़ रुपये खर्च कर दिए... जहां उनकी जान इतनी कीमती है, वहीं एक तम्बाकू किसान की आत्महत्या उसके परिवार को सड़क पर ले आएगी... क्या यह मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी नहीं कि वह सुनिश्चित करें कि एक भी किसान आत्महत्या न करे...?"
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सिम्हाद्रि वेंकटेश्वर राव के मुताबिक, लगभग 14,000 तम्बाकू किसान उसी की तरह कर्ज़े में डूबे हैं, और उन्होंने "आत्महत्या करना शुरू कर दिया है..."
पुलिस का कहना है कि राव कुछ पारिवारिक समस्याओं का भी सामना कर रहा था, और लगभग तीन महीने पहले ही अपनी पत्नी से अलग हो चुका था। गौरतलब है कि हालिया महीनों में देशभर में हुईं किसान आत्महत्याओं में से सबसे ज़्यादा मामले आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही सामने आए हैं।
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