विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Mar 09, 2021

टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन से 10 हजार से ज्यादा उद्योग-धंधों पर असर, सरकार के रुख से नाराज

बहादुरगढ़ इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के लोग खुद ही किसानों से बात करके सड़क का एक हिस्सा खुलवा रहे हैं. लेकिन हजारों फैक्ट्री मालिक सरकार और प्रशासन के रुख से नाराज हैं.

Read Time: 4 mins
टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन से 10 हजार से ज्यादा उद्योग-धंधों पर असर, सरकार के रुख से नाराज
Farmers Protest के सौ दिन से भी ज्यादा हो चुके हैं

टीकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के चलते बहादुरगढ़ के आसपास के 10 हजार से ज्यादा उद्योग धंधे बुरी तरह प्रभावित हैं. इसी के कारण बहादुरगढ़ इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के लोग खुद ही किसानों से बात करके सड़क का एक हिस्सा खुलवा रहे हैं. लेकिन हजारों फैक्ट्री मालिक सरकार और प्रशासन के रुख से नाराज हैं.

दिल्ली हरियाणा बॉर्डर के बहादुरगढ़ में जूते और चप्पल बनाने की इस तरह की एक हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां है. लेकिन पहले कोरोना और अब दिल्ली हरियाणा के बंद बॉर्डर से व्यवसाय पर असर पड़ा है. इन्हीं में से एक सचिन अग्रवाल का कारोबार बुरी तरह चरमरा गया है.कच्चे माल की सप्लाई बाधित होने के चलते फैक्ट्री में 50 फीसदी काम ही हो रहा है.

जूता फैक्ट्री बहादुरगढ़ के मालिक सचिन गुप्ता का कहना है कि लेबर और कच्चा माल ही नहीं आ पा रहा है. खुद हम लोगों को आने जाने में दिक्कत है. जूता इंडस्ट्री को चार हजार करोड़ की चपत अब तक लग चुकी है. बहादुरगढ़ के आसपास करीब दस हजार से ज्यादा उद्योग हैं. किसान आंदोलन के चलते बहादुरगढ़, कुंडली और मानेसर की फैक्ट्रियां पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है.

बहादुरगढ़ में केमिकल फैक्ट्री चलाने वाले राजेश चुग को पहले लगा था कि दस पंद्रह दिन में आंदोलन खत्म हो जाएगा. लेकिन अब तीन महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है और कोई हल न निकलने से वो खासे नाराज हैं.चुग ने सवाल किया कि क्या सारे अधिकार दिल्ली वालों के ही हैं, जब किसान दिल्ली जाना चाहते हैं तो उन्हें क्यों यहां रोका गया है. बहादुरगढ़ की जनता के कोई अधिकार नहीं हैं. सरकार को एक उचित समय के बाद किसानों को वापस भेजना चाहिए. बहादुरगढ़ इंडस्ट्रियल एसोसिएशन को जब सरकार और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली तो इन लोगों ने खुद ही किसानों से बात करके सड़क का एक हिस्सा खुलवा लिया है.

इनकी कोशिश यही है कि रात के वक्त ज्यादा माल ढुलाई हो. लेकिन दिल्ली जाने वाले रास्ते को दिल्ली पुलिस ने बंद कर रखा जिससे फैक्ट्री मालिक खासे नाराज हैं. BCCI के कार्यकारी सदस्य का कहना है कि प्रवीण गर्ग दिल्ली पुलिस से हमारी बात हुई लेकिन वो बस आश्वासन देते हैं, झड़ौदा बार्डर कल ही खोला गया है. 26 जनवरी को किसान दिल्ली में चले ही गए थे, जब उनको रोक ही सकते हैं तो क्यों बॉर्डर बंद किया है, ये बात समझ से परे हैं.

हालांकि बड़ी तादाद में किसान धरने पर बैठे होने के बावजूद कभी किसी फैक्ट्री के ट्रक या टेंपो को नुकसान नहीं पहुंचा है, लेकिन हरियाणा से लेकर दिल्ली के मुंडका तक की फैक्ट्रियों को करोड़ों के नुकसान के बावजूद सरकार कोई हल निकालने को तैयार नहीं है. किसान आंदोलन को तीन महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन सरकार न किसान से बात कर रही है न ही 25 हजार करोड़ का सालाना व्यापार करने वाले फैक्ट्री मालिकों की चिंता की दूर करने की कोशिश कर रही है, लिहाजा किसान और व्यापारी दोनों परेशान हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;