
सरकार कह रही है कि यह मीडिया का सुझाव था कि डिजिटल मीडिया में 26 फीसदी विदेशी निवेश की मंज़ूरी हो. एनडीटीवी से बात करते हुए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत FDI मंजूर किया है क्योंकि प्रिंट मीडिया में भी 26 फीसदी FDI स्वीकार्य है. डिजिटल मीडिया भी प्रिंट मीडिया की तरह काम करता है."
हालांकि जानकार कहते हैं कि ये फैसला लागू करने को लेकर अब भी कई सवाल हैं. मीडिया एक्सपर्ट निखिल पाहवा ने NDTV से कहा, "डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत FDI लिमिट से इंटरनेट मीडिया की फ्रीडम रिस्ट्रिक्ट की गई है. अब कई वेब पोर्टल को अपनी फॉरेन होल्डिंग कम करनी पड़ेगीं. इंटरनेट को लेकर हमेशा से यह सवाल रहा है कि वो प्रिंट है, टीवी है या रेडियो है? इंटरनेट पर कंटेंट क्रिएशन की स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित होगी. अलग-अलग प्लेटफार्म पर अलग-अलग FDI लिमिट कैसे लागू होगी, यह सवाल है. किसने मीडिया की तरफ से डिजिटल मीडिया में सरकार को 26 फीसदी लिमिट का सुझाव दिया?''
उद्योग जगत एफ़डीआई के नियम आसान करने को लेकर सरकार के फ़ैसले का स्वागत कर रहा है. एसोचैम को उम्मीद है कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहे कारोबार युद्ध की वजह से जो 200 से 250 अमेरिकी कंपनियां अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस कहीं और ले जाना चाहती हैं, वो इस फ़ैसले के बाद भारत की ओर मुड़ सकती हैं.
एसोचैम के असिस्टेंट सेक्रेटरी जनरल अजय शर्मा ने एनडीटीवी से कहा, "यूएस के इकॉनामिस्ट हमसे मिलने एसोचैम ऑफिस आए थे कुछ ही दिन पहले. उन्होंने इस बात को हाईलाइट किया कि यूएस-चायना ट्रेड वॉर की वजह से 200 से 250 अमेरिकी कंपनियां चीन से अपने मॅन्यूफैक्चरिंग बेस को शिफ्ट करने के लिए आल्टरनेट लोकेशन खोज रही हैं. उन इकॉनामिस्ट का मानना था कि अमेरिकन कंपनियों को भारत की तरफ अट्रैक्ट करने के लिए इंडिया में पॉलिसी चेंज करना ज़रूरी होगा. अब एफडीआई पॉलिसी में चेंज से इंडियन इकॉनामी मैं नई ऑपर्चुनिटी खुली हैं."
फिलहाल सबकी नज़र अब Apple, IKEA, Tommy Hilfiger और H&M सिंगल रिटेल ब्रांड की तरफ़ है. उनके आने से अर्थव्यवस्था के सेहतमंद होने की उम्मीद है.
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