नीति आयोग (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मोदी सरकार के आखिरी पूर्णकालिक बजट में अरुण जेटली ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का जिक्र किया था, जिसके अंतर्गत देश के करीब 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाएगा. मगर इस योजना में सरकार का कितना खर्च आएगा और फिर परिवारों के चयन का आधार क्या होगा, इन सभी मुद्दों पर एनडीटीवी से खास बातचीत में नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना जब पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगी तब इस पर सालाना 11 हजार से 12 हजार करोड़ तक खर्च होगा. बजट में करदाताओं पर जो एक फीसदी अतिरिक्त अधिभार लगाया गया है, उससे प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग सरकार इस योजना के लिए करना चाहती है. बता दें कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को डिजाइन करने में वीके पॉल की अहम भूमिका रही है.
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत में वीके पॉल ने कहा कि 10 करोड़ परिवारों की पहचान सामाजिक-आर्थिक-जाति आधारित जनगणना के आधार पर होगी. इस स्कीम में बीपीएल और एपीएल दोनों परिवारों को शामिल किया जाएगा. इस योजना के तहत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों दोनों को जोड़ा जाएगा.
उन्होंने कहा कि इसे केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना की तरह लागू किया जाएगा. इसके पारामीटर पहले से ही तय हैं. हर राज्य की हिस्सेदारी अलग-अलग होगी. जैसे जम्मू-कश्मीर के केस में 90 फीसदी से 10 फीसदी, हिमाचल के केस में 80 फीसदी से 20 फीसदी आदि.
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को इस योजना में मिला दिया जाएगा. इसे 2018-19 में ही लागू करना शुरू किया जाएगा. बता दें कि सरकार ने बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की घोषणा की है जिसमें 50 करोड़ लोगों को बीमारियों के लिए पांच लाख रुपये का बीमा दिया जाएगा.
वीके पॉल का कहना है कि यह योजना एक साथ लागू नहीं होगी यानी चरणबद्ध ढंग से लागू होगी. पहले साल सिर्फ तीन राज्यों में इसे लागू किया जाएगा. इसके बाद 13 राज्यों में और फिर 25 राज्यों में इसे लागू किया जाएगा. इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को 2000 करोड़ की रकम दी गई है. आयकर के एक फ़ीसदी सेस से 11,000 करोड़ की रकम जुटाई जाएगी. यानी अमीर के पैसे से गरीब का इलाज होगा.
VIDEO: बजट में ग़रीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत में वीके पॉल ने कहा कि 10 करोड़ परिवारों की पहचान सामाजिक-आर्थिक-जाति आधारित जनगणना के आधार पर होगी. इस स्कीम में बीपीएल और एपीएल दोनों परिवारों को शामिल किया जाएगा. इस योजना के तहत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों दोनों को जोड़ा जाएगा.
उन्होंने कहा कि इसे केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना की तरह लागू किया जाएगा. इसके पारामीटर पहले से ही तय हैं. हर राज्य की हिस्सेदारी अलग-अलग होगी. जैसे जम्मू-कश्मीर के केस में 90 फीसदी से 10 फीसदी, हिमाचल के केस में 80 फीसदी से 20 फीसदी आदि.
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को इस योजना में मिला दिया जाएगा. इसे 2018-19 में ही लागू करना शुरू किया जाएगा. बता दें कि सरकार ने बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की घोषणा की है जिसमें 50 करोड़ लोगों को बीमारियों के लिए पांच लाख रुपये का बीमा दिया जाएगा.
वीके पॉल का कहना है कि यह योजना एक साथ लागू नहीं होगी यानी चरणबद्ध ढंग से लागू होगी. पहले साल सिर्फ तीन राज्यों में इसे लागू किया जाएगा. इसके बाद 13 राज्यों में और फिर 25 राज्यों में इसे लागू किया जाएगा. इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को 2000 करोड़ की रकम दी गई है. आयकर के एक फ़ीसदी सेस से 11,000 करोड़ की रकम जुटाई जाएगी. यानी अमीर के पैसे से गरीब का इलाज होगा.
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