
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। इस मुलाकात के लिए कुछ दिन पहले मांझी ने PM से समय मांगा था। ये बैठक पूरी तरह से राजनतिक थी और इसमें बिहार की राजनीति पर चर्चा हुई।
हालांकि इस बैठक के बारे में न तो पीआईबी ने कोई विज्ञप्ति जारी की और न ही कोई फोटो। लेकिन बीजेपी सूत्रों की मानें तो आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मांझी उनके लिए त्रुप का कार्ड हैं। दरअसल मांझी महादलित समुदाय से आते हैं, जिसका वोट पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को देखने को भी नहीं मिला था।
मांझी ने नीतीश कुमार से बगावत करके एक तरह से ये वोट बीजेपी की झोली में बोनस के रूप में दे दिया हैं। लेकिन मांझी नई पार्टी बनाने पर अड़े हैं और बीजेपी उनके साथ तालमेल करेगी या चुनाव के बाद तक इंतजार, ये आने वाले दिनों में तय होगा। लेकिन मांझी नीतीश-लालू के नए दल से दूरी बनाए रखेंगे ये तय है।
लेकिन बीजेपी के लोग भी मानते हैं कि जिस मांझी से वो दूरी बनाकर उनके महादलित वोट लेने की फ़िराक में हैं, वो राजनीति के उतने कच्चे खिलाड़ी भी नहीं हैं। अगर वो अपने वोटों को बीजेपी की ओर ट्रांसफर कराएंगे तो उसके बदले में निश्चित रूप से बीजेपी से राजनतिक लाभ भी लेंगे।
आज के बाद मांझी की आने वाले दिनों में बीजेपी से नजदीकी बढ़ेगी और लालू यादव से एक तरह से उन्होंने पूरी तरह से किनारा कर लिया हैं। लेकिन सवाल ये है कि मांझी भले ही मुख्यमंत्री हों या नहीं पीएम मोदी उनसे मिलने से परहेज नहीं करते, लेकिन उनके साथ फोटो खिंचवाने या उसे रिलीज़ करने से क्यों परहेज करते हैं।
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