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This Article is From Oct 31, 2019

EU सांसदों के कश्मीर दौरे पर 'मचे घमासान' के बीच विदेश मंत्रालय की तरफ से आया यह Reaction

यूरोपियन यूनियन (European Union) के सांसदों के कश्मीर दौरे पर सियासत गरमाई हुई है. विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार सरकार पर हमलावर है. अब इस पर सरकार की तरफ से पहली बार बयान आया है.

EU सांसदों के कश्मीर दौरे पर 'मचे घमासान' के बीच विदेश मंत्रालय की तरफ से आया यह Reaction
यूरोपियन यूनियन के 23 सांसदों ने मंगलवार को किया था कश्मीर का दौरा. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

यूरोपियन यूनियन (European Union) के सांसदों के कश्मीर दौरे पर सियासत गरमाई हुई है. विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार सरकार पर हमलावर है. अब इस पर सरकार की तरफ से पहली बार बयान आया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि ये MEA का अधिकार है कि सिविल सोसायटी के लोगों को वह आमंत्रित करें. कई बार लोग अपनी निजी यात्रा पर आते हैं तब भी कई बार राष्ट्रहित में हम उनका आधिकारिक तौर पर स्वागत करते हैं, भले ही वह प्राइवेट विजिट पर क्यों न हों. यूरोपियन यूनियन के सांसदों ने भारत को जानने समझने की इच्छा जताई थी. जब उन्होंने अलग-अलग माध्यमों से संपर्क किया, उनमें विभिन्न विचारधारा के लोग थे. उन्हें कश्मीर जाने में सपोर्ट किया गया था.

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रवीश कुमार (Raveesh Kumar) ने कहा कि यूरोपीय संघ (EU) संसद के सदस्यों का कश्मीर दौरा इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए बिल्कुल नहीं था और इस तरह के शिष्टमंडल आधिकारिक माध्यमों से नहीं आया करते हैं. विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अपनी पहली टिप्पणी में यह भी कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या इस तरह का दौरा व्यापक राष्ट्रीय हितों की पूर्ति करता है. जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 (Article 370) के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने के केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के बाद किसी विदेशी शिष्टमंडल का कश्मीर घाटी का यह पहला दौरा था.

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ईयू संसद के 23 सदस्यों का एक शिष्टमंडल कश्मीर में स्थिति का जमीनी स्तर पर जायजा लेने के लिए मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर पहुंचा था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'हमें लगता है कि इस तरह की चीजें जनता के स्तर पर संपर्क का हिस्सा हैं.' यह दौरा कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए बिल्कुल नहीं था. रवीश कुमार ने यह भी कहा कि ईयू सांसदों के विचारों ने जमीनी हकीकत और कश्मीर में आतंकवाद के खतरे के बारे में उनकी समझ को प्रदर्शित किया है.

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(इनपुट: भाषा से भी)

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