कश्मीर का दौरा करने के बाद EU सांसद बोले- आतंक खत्म करने के लिए भारत के प्रयासों को समर्थन

इन सांसदों को श्रीनगर एयरपोर्ट से शहर के एक लग्जरी होटल में बुलेट-प्रूफ वाहनों में ले जाया गया. वहीं सुरक्षा का काफिला भी इनके साथ चल रहा था. इनमें से ज्यादात्तर सांसद धुर दक्षिणपंथी पार्टियों से ताल्लुक रखते हैं. 27 में से केवल तीन सांसद लेफ्ट या लिबरल पार्टी से हैं. ये सब भारत निजी दौरे पर आए हैं.

खास बातें

  • 23 सांसदों ने किया कश्मीर का दौरा
  • आतंक के खात्मे की भारत की कोशिशों का किया समर्थन
  • बुधवार को किया मीडिया को संबोधित
श्रीनगर:

यूरोपीय संघ के 23 सांसदों का समूह, जो जम्मू-कश्मीर में हैं, 'स्थायी शांति और आतंक के खात्मे के प्रयासों में भारत का पूरा समर्थन करेंगे'. इनमें से एक सांसद ने बताया कि उन्होंने सुबह मीडिया के कुछ चुनिंदा लोगों से बात की, इनमें स्थानीय कश्मीरी मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल नहीं थे. अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल की सेना के अधिकारियों के साथ बैठकें हुईं और मंगलवार को डल झील में शिकारा की सवारी की गई. सांसदों ने भारी सुरक्षा और राज्य के कुछ हिस्सों में बंद के दौरान जम्मू-कश्मीर का दौरा किया. अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के हटाए जाने के बाद पहली बार कोई अंतरराष्ट्रीय टीम ने कश्मीर का दौरा किया है. अगस्त महीने में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांटने का ऐलान किया था. यूरोपीय संघ के सांसदों के कश्मीर का दौरा करने पर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशान साधा है कि जब भारत के राजनेताओं को कश्मीर का दौरा नहीं करने दिया जा रहा तो विदेशी सांसदों को कैसे मंजूरी दी गई.

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सांसदों के समूह में शामिल एक सांसद ने बुधवार को कहा, 'हम, अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल, स्थाई शांति और आतंक के खात्मे के प्रयासों में भारत का पूरा समर्थन करते हैं. हमारे स्वागत के लिए हम भारत सरकार और स्थानीय प्रशासन को धन्यवाद देते हैं.'

साथ ही इन सांसदों ने कहा कि उनके इस दौरे को गलत नजरिए से देखा गया. वो तो यहां तथ्य जुटाने आए हैं. उन्होंने कहा कि हमें राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. इन सांसदों ने दक्षिणपंथी विचारधारा के होने के विपक्ष के हमलों पर कहा कि वो फासीवादी नहीं हैं. अगर फासीवादी होते तो जनता उन्हें नहीं चुनती. उन्होंने ये भी कहा कि आतंकवाद से किसी देश को तबाह नहीं होने दे सकते.

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में किस-किस मीडिया ग्रुप को बुलाया गया ये तो साफ़ नहीं है लेकिन स्थानीय अखबार और पत्रकारों को इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए नहीं बुलाया गया. न्यूज एजेंसी ANI से एक सांसद ने कहा कि अगर उन्हें यहां आने की इजाजत है तो विपक्षी सासंदों को भी मिलनी चाहिए.

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इन सांसदों को श्रीनगर एयरपोर्ट से शहर के एक लग्जरी होटल में बुलेट-प्रूफ वाहनों में ले जाया गया. वहीं सुरक्षा का काफिला भी इनके साथ चल रहा था. इनमें से ज्यादात्तर सांसद धुर दक्षिणपंथी पार्टियों से ताल्लुक रखते हैं. 27 में से केवल तीन सांसद लेफ्ट या लिबरल पार्टी से हैं. ये सब भारत निजी दौरे पर आए हैं.

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सांसदों का समूह जब घाटी के दौरे पर था तो बंद के बीच घाटी और शहर के विभिन्न हिस्से में लोगों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं. जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम और पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने घाटी और जम्मू कश्मीर के अन्य हिस्से में हालात पर शिष्टमंडल को अवगत कराया.

शिष्टमंडल ने एक पांच सितारा होटल में नवनिर्वाचित पंचायत सदस्यों और पार्षदों सहित आम लोगों से भी संवाद किया. शहर में सर्दी के बीच कुछ सांसदों ने डल झील में शिकारे का भी आनंद लिया. सांसदों ने सेंटूर होटल के पास नौका विहार किया. इसी होटल में पांच अगस्त के बाद से 30 नेताओं और कार्यकर्ताओं को रखा गया.

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फ्रांस से यूरोपीय संघ में सांसद वर्जिन जोरोन ने कहा, ‘यह अच्छा दौरा है और हम कश्मीर में स्थिति जानने के लिए आए हैं. यहां जमीनी हालात का अनुभव हुआ और हमें यहां स्थानीय लोगों से बात कर अच्छा लगा.'

ईयू प्रतिनिधिमंडल के साथ संवाद पर बारामूला के उपमेयर आबिद सलाम ने कहा कि विचारों के आदान प्रदान का ‘‘अच्छा मंच'' था और हम कश्मीर में अमन चैन के पक्ष में हैं.

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अधिकारियों ने बताया कि शहर में पूरी तरह बंद है और श्रीनगर तथा घाटी के अन्य हिस्सों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच कुछ जगह झड़पों में कम से कम चार लोग घायल हो गए. लोगों ने 90 फुट रोड सहित श्रीनगर के कम से कम पांच स्थानों पर सड़क को अवरूद्ध कर दिया. दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे और झड़पों के कारण सड़कों से गाड़ियां भी नदारद रहीं. पथराव की भी कुछ घटनाएं हुईं. 

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