आर्थिक नरमी के साथ-साथ सुरक्षा संबंधी चिंताओं की वजह से पिछले दो साल में उद्योगों में महिला कर्मचारियों की संख्या कम हुई है। पिछले दो साल में उन क्षेत्रों में महिला कर्मियों की संख्या 26.5 प्रतिशत घटी है जहां उन्हें रात्रि पाली में काम करना होता है या देर तक रकना पड़ता है अथवा उनका दफ्तर शहर के बाहरी हिस्से में है। उद्योग मंडल ऐसोचैम के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के अवसर पर जारी इस रिर्पोट में कहा गया कि पिछले दो साल में अर्थव्यवस्था में नरमी के साथ-साथ महिलाओं को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताओं की वजह से पिछले दो साल में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी कम हुए हैं। एसोचैम ने इस स्थिति में बदलाव के लिए सरकार और नियोक्ताओं को सक्रिय भूमिका निभाने पर जोर दिया है।
यह अध्ययन 20 से 50 वर्ष आयुवर्ग की करीब 1,600 महिलाओं से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है और अध्ययन को आज यहां आम आदमी पार्टी (आप) की नेता अल्का लांबा, स्पाइस ग्रुप की कॉरपोरेट मामलों की समूह अध्यक्ष प्रीति मल्होत्रा, यस इंस्टीट्यूट की वरिष्ठ अध्यक्ष एवं वैश्विक संयोजक प्रीति मेहरा ने जारी किया।
अल्का लांबा ने इस अवसर पर कहा, 'दिल्ली को रेप कैपिटल नहीं बल्कि महिलाओं के लिए अनुकूल राजधानी बनाने की जरूरत है। महिलाओं में असुरक्षा की भावना को दूर किए जाने की आवश्यकता है।' प्रीति मल्होत्रा ने कहा 'कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए सुरक्षित और बेहतर माहौल बनाने की आवश्यकता है। उनमें कार्यस्थालों पर जरूरी विश्वास पैदा किया जाना चाहिये।'
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