
Coronavirus Pandemic: कोविड-19 के बारे में अब तक आप ये जानते होंगे कि यह फेफड़ों और सांस की नली को बुरी तरह प्रभावित करता है! लेकिन एक तथ्य से लोग अब भी वाकिफ नहीं हैं कि ये बीमारी नर्वस सिस्टम को भी गहरा नुकसान पहुंचा रही है. मुंबई में कई मरीज ब्रेन स्ट्रोक के भी शिकार हो रहे हैं. डॉक्टर बताते हैं कि लगभग हर हफ़्ते मस्तिष्क संबंधी समस्या के मामले रिपोर्ट हो रहे हैं. ये वायरस सिर्फ़ आपकी सांस पर नहीं बल्कि आपके ब्रेन यानि मस्तिष्क पर भी वार कर रहा है. मुंबई के बड़े अस्पतालों में शामिल फ़ोर्टिस मुलुंड हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर डायरेक्टर और स्टेट कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ राहुल पंडित बताते हैं कि उनके पास ब्रेन स्ट्रोक के 15 से ज़्यादा कोविड पोजिटिव मरीज़ पहुंचे, इनमें, 25 से 35 साल के बीच के दो युवाओं की मौत भी हो चुकी है. डॉ. पंडित स्ट्रोक यानी लकवा के 15-16 पेशेंट को भी देख रहे हैं. इन पेशेंट की कोई विशेष आयु वर्ग नहीं है. ये 20-25 से लेकर 70-80 साल के मरीज़ हैं.
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डॉ. पंडित ने बताया कि दो पेशेंट ब्रेन डेड सिचुएशन में आए लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी हम उनकी जान नहीं बचा पाए. उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के मामलों के अलावा यहां क़रीब 30 मरीज़ मस्तिष्क संबंधी समस्या का इलाज करवा रहे हैं. कोरोना वायरस शरीर के हर अंग के लिए समस्या साबित हो रहा है. ये वायरस शरीर के कई अंगों को अफ़ेक्ट कर रहा है, जिसमें लंग्स यानी फेंफड़े अहम हैं इससे निमोनिया होता है. पेट पर इसके असर के कारण डायरिया होता है. लेकिन ये अर्ट्रीस में भी सूजन लाता है, इससे छोटे छोटे ब्लड क्लाट्स बनने लगते हैं जिसके कारण ब्रेन में रक्त नहीं पहुँच पाता है जिससे स्ट्रोक होता है.''
आयुष अस्पताल के डॉ. सुहास देसाई अपने ICU में ऐसे कई मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं. वे बताते हैं कि इनके अस्पताल में हर हफ़्ते 3-4 मरीज़ ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक के देखे जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सर दर्द होना, चक्कर जैसा आना, बात करने में तकलीफ़ होना या दिखाई देने में तकलीफ़. कॉमन लक्षण हैं इससे शुरुआत होती है आगे प्रोग्रेस होती है. जैसे ही इसके लक्षण दिखे तुरंत डॉक्टर के पास जाइए. समय पर एमआरआई हुआ तो आप जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं. गौरतलब है कि कोरोना के मानव शरीर पर प्रभाव को लेकर दुनियाभर में रिसर्च जारी है. लेकिन इस अध्ययन के दौरान लोगों को जागरुक कर जीवन बचाया जाए, ये बेहद ज़रूरी है. इसका कारण यह है कि कोरोना टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी कई बीमारियां जन्म ले रही हैं, इसलिए स्वास्थ्य सम्बंधी हर बदलाव को गंभीरता से लें और सही समय पर डॉक्टर से सम्पर्क करें.
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