
सीएम सिद्धारमैय्या की फाइल फोटो
बेंगलुरु:
कर्नाटक में बढ़ते लॉटरी बाज़ार पर लगाम लगाने के साथ-साथ इसे बढ़ावा देने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के इरादे से राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं।
सिद्धारमैय्या ने बताया कि चूंकि कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का नाम इस मामले में सामने आ रहा है इसलिए जांच सीआईडी से करवाने का फैसला किया गया है। उन्होंने ये भी जानकारी दी कि इस मामले के किंगपिन यानी मुख्य कर्ताधर्ता राजन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
उसके कॉल रिकार्ड्स से पता चलता है कि आईजी स्तर के दो अधिकारी लगातार राजन के साथ संपर्क में लंबे समय से थे और कॉल रिकार्ड्स में 3 ऐसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भी जानकारी दर्ज है जो डीजीपी के पद से रिटायर हो चुके हैं। एक दूसरा अधिकारी भी यदा कदा राजन और इसके गैंग से संपर्क करता रहता था यानी ये धंधा लंबे अरसे से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा था, इससे तो यही संकेत मिलता है।
मामला तूल पकड़ता देख मुख्यमंत्री ने कर्नाटक के डीजीपी ओम प्रकाश को निर्देश दिया कि मामले की फ़ौरन जांच पूरी की जाये और जिन अधिकारियों का नाम सामने आता है उनके खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचाहट नहीं की जाये चाहे वो अधिकारी किसी भी ओहदे पर क्यों न हो।
दरसल 2006 में कर्नाटक सरकार ने लॉटरी पर पूरी तरह पाबन्दी लगा दी थी जिसपर 2008 में कर्नाटक सरकार ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। लेकिन 2010 के आसपास अवैध लॉटरी का धंधा चोरी छिपे जोर पकड़ने लगा। विधानसभा में 2013 में विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया लेकिन उस वक़्त इसपर तरजीह नहीं दी गयी।
लेकिन अब जबकि अवैध लॉटरी व्यापार के पूरे राज्य में फलने फूलने की ख़बर मीडिया में भी उठने लगी तो सरकार ने प्रारंभिक जांच के आदेश दिए जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए और पता चला कि ये रैकेट कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है। अब इस रैकेट के मुख्य संचालक राजन की गिरफ्तारी से उन सभी लोगों तक सीआईडी को पहुंचने में आसानी होगी जो इससे जुड़े थे।
सिद्धारमैय्या ने बताया कि चूंकि कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का नाम इस मामले में सामने आ रहा है इसलिए जांच सीआईडी से करवाने का फैसला किया गया है। उन्होंने ये भी जानकारी दी कि इस मामले के किंगपिन यानी मुख्य कर्ताधर्ता राजन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
उसके कॉल रिकार्ड्स से पता चलता है कि आईजी स्तर के दो अधिकारी लगातार राजन के साथ संपर्क में लंबे समय से थे और कॉल रिकार्ड्स में 3 ऐसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भी जानकारी दर्ज है जो डीजीपी के पद से रिटायर हो चुके हैं। एक दूसरा अधिकारी भी यदा कदा राजन और इसके गैंग से संपर्क करता रहता था यानी ये धंधा लंबे अरसे से पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा था, इससे तो यही संकेत मिलता है।
मामला तूल पकड़ता देख मुख्यमंत्री ने कर्नाटक के डीजीपी ओम प्रकाश को निर्देश दिया कि मामले की फ़ौरन जांच पूरी की जाये और जिन अधिकारियों का नाम सामने आता है उनके खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचाहट नहीं की जाये चाहे वो अधिकारी किसी भी ओहदे पर क्यों न हो।
दरसल 2006 में कर्नाटक सरकार ने लॉटरी पर पूरी तरह पाबन्दी लगा दी थी जिसपर 2008 में कर्नाटक सरकार ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। लेकिन 2010 के आसपास अवैध लॉटरी का धंधा चोरी छिपे जोर पकड़ने लगा। विधानसभा में 2013 में विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया लेकिन उस वक़्त इसपर तरजीह नहीं दी गयी।
लेकिन अब जबकि अवैध लॉटरी व्यापार के पूरे राज्य में फलने फूलने की ख़बर मीडिया में भी उठने लगी तो सरकार ने प्रारंभिक जांच के आदेश दिए जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए और पता चला कि ये रैकेट कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है। अब इस रैकेट के मुख्य संचालक राजन की गिरफ्तारी से उन सभी लोगों तक सीआईडी को पहुंचने में आसानी होगी जो इससे जुड़े थे।
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