ISRO प्रमुख के सिवन ने अगले स्पेश मिशन को लेकर एनडीटीवी से खास बातचीत की. उन्होंने इस दौरान कहा कि हमनें स्पेश में मानव को भेजने के लिए अपने प्रोजेक्ट का डिजाइन तैयार कर लिया है. इस पूरे मिशन के लिए भारतीय वायुसेना के चार पायलट का चयन किया गया है. इन पायलटों को मेडिकल टेस्ट के बाद भारत और रूस में इस मिशन को लेकर ट्रेनिंग दी जाएगी. हालांकि, एनडीटीवी से बातचीत के दौरान इसरो प्रमुख ने पायलट की पहचान नहीं बताई.
ISRO के ‘गगनयान' मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों को चुना गया : के सिवन
गगनयान के बारे मे बात करते हुए इसरो प्रमुख सिवन ने कहा कि हम इस साल अंत तक या 2021 की शुरुआत तक इस मिशन को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस मिशन को इस साल के आखिर तक या अगले साल की शुरुआत में लॉन्च करने की सोच रहे हैं. चंद्रयान 3 मिशन को लेकर इसरो चीफ ने कहा कि हम मौजूदा ऑर्बिटर का इस्तेमाल करेंगे, इसके लिए जल्द ही नई लॉन्च साइट का चयन किया जाएगा.
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एनडीटीवी से बातचीत में इसरो प्रमुख ने उस मौके को याद किया जब पीएम मोदी ने उन्हें गले लगा लिया था. इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि वह क्षण मेरे लिए एक बड़ी राहत की तरह था. पीएम मोदी द्वारा मिले हग ने मुझे काफी कुछ सिखाया है. सिवन ने कहा कि पीएम मोदी को पता था कि उस समय मेरे दिमाग में क्या चल रहा था. पीएम मोदी ने मुझे सांत्वना दिया, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.
इससे पहले इसरो प्रमुख ने कहा था कि महत्वाकांक्षी ‘गगनयान' मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देने की शुरुआत रूस में जनवरी के तीसरे सप्ताह से की जाएगी. इसरो प्रमुख के सिवन ने बताया था कि इस मिशन के लिए चार अंतरिक्ष यात्रियों को चुना गया है और उनका प्रशिक्षण इस महीने के तीसरे सप्ताह से रूस में शुरू होगा. उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि चंद्रयान-3 और गगनयान से जुड़ा कार्य साथ-साथ चल रहा है. इसरो प्रमुख ने चेन्नई के उस इंजीनियर की भी तारीफ की जिसने चंद्रमा पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का पता लगाया था.
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के सिवन ने कहा था कि यह अंतरिक्ष एजेंसी की नीति थी कि वह दुर्घटनाग्रस्त मॉड्यूल की तस्वीर जारी नहीं करेंगे. सिवन ने कहा था कि हम जानते थे कि यह कहां दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और किस स्थान पर था.विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिग में क्या दिक्कत हुई ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह वेग में कमी से जुड़ी विफलता थी और यह आंतरिक कारणों से हुआ था. इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया था. हालांकि तय समय से कुछ क्षण पहले इसरो का विक्रम से संपर्क टूट गया था.
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