तीन मूर्ति चौक का नाम बदलकर तीन मूर्ति हैफा चौक रखा गया है.
नई दिल्ली:
पीएम मोदी और उनके इस्राइली समकक्ष बेंजामिन नेतन्याहू ने तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति हैफा चौक करने के मौके पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया. दोनों नेताओं ने स्मारक पर पुष्पचक्र चढ़ाया और वहां रखी आगंतुक पुस्तिका पर भी हस्ताक्षर किया.
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VIDEO : बेंजामिन नेतन्याहू भारत पहुंचे
नेतन्याहू छह दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे और प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोटोकॉल को दरकिनार कर उनकी अगवानी की. तीन मूर्ति पर कांस्य की तीन मूर्तियां हैदराबाद, जोधपुर और मैसूर लैंसर का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो 15 इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड का हिस्सा थे. ब्रिगेड ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 23 सितंबर 1918 के दौरान हैफा शहर पर हमला कर जीत हासिल की थी. इस युद्ध के दौरान 44 भारतीय सैनिकों को शहादत मिली थी. आज तक, 61वीं कैवलरी ब्रिगेड 23 सितंबर को स्थापना दिवस या 'हैफा दिवस' मनाती है.
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आगंतुक पुस्तिका में मोदी ने लिखा कि वह भारतीय सैनिकों की 'निस्वार्थ बलिदान और तपस्या की महान भारतीय परंपरा' को सलाम करते हैं, जिन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान हैफा शहर की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया. मोदी ने पुस्तिका में लिखा, 'हैफा में भारतीय सैनिकों के बलिदान के लिए इन पन्नों में से एक को 100 साल पहले लिखा गया था. तीन मूर्ति में उनकी शताब्दी मनाने के साथ उनके बलिदान को याद किया गया. इस जगह का नाम तीन मूर्ति हैफा चौक किया जाना इस ऐतिहासिक मौके की यादगार है. इस्राइल के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में, हम बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.'PM Modi's inscription in Visitors book at Teen Murti: It is the 100th anniversary of the end of World War-1. Many golden pages of the sacrifices of Indian braves are written in the history of both World War. #NetanyahuInIndia pic.twitter.com/Zgjw7TADFG
— ANI (@ANI) January 14, 2018
#WATCH Israel PM Netanyahu & PM Modi pay tribute at Teen Murti Haifa Chowk in Delhi #NetanyahuInIndia pic.twitter.com/etCxFefNCO
— ANI (@ANI) January 14, 2018
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नेतन्याहू छह दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे और प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोटोकॉल को दरकिनार कर उनकी अगवानी की. तीन मूर्ति पर कांस्य की तीन मूर्तियां हैदराबाद, जोधपुर और मैसूर लैंसर का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो 15 इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड का हिस्सा थे. ब्रिगेड ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 23 सितंबर 1918 के दौरान हैफा शहर पर हमला कर जीत हासिल की थी. इस युद्ध के दौरान 44 भारतीय सैनिकों को शहादत मिली थी. आज तक, 61वीं कैवलरी ब्रिगेड 23 सितंबर को स्थापना दिवस या 'हैफा दिवस' मनाती है.
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