
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Delhi-NCR Pollution) के मामले पर गुरुवार को सुनवाई करेगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि वो दो दिनों में इस मामले में अदालत में हलफनामा दाखिल करेगी कि नए अध्यादेश के लागू करने से प्रदूषण पर क्या प्रभाव पड़ा है. इसे देखते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई टाल दी है.
पिछली सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश (CJI) ने कहा था कि शहर में प्रदूषण की समस्या पर नियंत्रण पाना सरकार की जिम्मेदारी है. किसी आयोग से उसे कोई सरोकार नहीं है. इससे पहले, सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदूषण के मामले में आयोग गठित कर दिया गया. आयोग 6 नवंबर से ही काम शुरू कर देगा. इस पर प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, सरकार यह सुनिश्चित करे कि शहर में प्रदूषण की समस्या नियंत्रण में रहे. कोर्ट को किसी आयोग से कोई सरोकार नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि पहले से ही प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई आयोग और निकाय बने हुए हैं. सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि शहर में कोई स्मॉग न हो. CJI ने कहा, जिस तरह से हमें प्रदूषण के मामले में अपराधों की ग्रेडिंग की आवश्यकता है. लिहाजा विस्तार से देखें कि आप किस तरह के अपराधों को देख रहे हैं. ऐसे अपराधों पर या आयोग के आदेशों का उल्लंघन करने पर जुर्माना 5 साल की जेल या एक करोड़ रुपये जुर्माना नहीं हो सकता है. CJI ने कहा, "प्रदूषण की समस्या से कार्यपालिका को निपटना पड़ेगा. उनके पास संसाधन हैं, पैसा है."
केंद्र सरकार ने दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए गठित आयोग के पदाधिकारियों के नाम की अधिसूचना जारी की है, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पूर्व सचिव एमएम कुट्टी आयोग के अध्यक्ष हैं. उनके अलावा 14 और सदस्य हैं. इनमें अलग-अलग विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब के अधिकारी शामिल हैं.
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