दिल्ली : निर्भया के परिवार को इंसाफ के लिए और कितना करना होगा इंतजार?

सन 2012 के 16 दिसम्बर की निर्भया के गैंग रेप की जघन्य वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया था, दोषियों को अब तक नहीं दी गई फांसी

दिल्ली : निर्भया के परिवार को इंसाफ के लिए और कितना करना होगा इंतजार?

निर्भया केस में न्याय की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन की फाइल फोटो.

खास बातें

  • मामला अदालतों और कानूनी दांव-पेंच के बीच कहीं झूल रहा
  • चार नवंबर 2019 को लगाई गई मर्सी पिटीशन राष्ट्रपति के पास
  • अदालत में 13 दिसम्बर को मामले की अगली सुनवाई होगी
नई दिल्ली:

सात साल बीत गए लेकिन निर्भया के घर वाले अब भी इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहे हैं. जिस केस को लेकर पूरे देश में गुस्सा था आखिर क्यों इस केस को अपने अंजाम तक पहुंचने में देरी हो रही है? महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर लोग सड़कों पर हैं, लेकिन सात साल से एक मां अपनी बेटी के हत्यारों और बलात्कारियों को सजा दिलवाने के लिए आज भी कड़ा संघर्ष कर रही है. निर्भया कांड को  लेकर सात साल पहले पूरे देश में लोग सड़कों पर गुस्से में थे. उसी निर्भया को आज भी इंसाफ की दरकार है. यह मामला अदालतों और कानूनी दांव-पेंच के बीच कहीं झूल रहा है. निर्भया के परिवार के लिए सात साल का यह संघर्ष आसान नहीं रहा. शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब वे अदालत की सुनवाई में न गए हों.

सन 2012 के 16 दिसम्बर की इस घटना में पुलिस ने एक नाबालिग समेत छह आरोपियों को पकड़ा, लेकिन मार्च 2013 में एक आरोपी राम सिंह ने आत्महत्या कर ली. मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला और तमाम अड़चनों के बाद भी नौ महीने में ट्रायल कोर्ट ने सभी पांच बालिग आरोपियों को फांसी की सज़ा सुना दी. इसके बाद 3 मार्च 2014 को हाइकोर्ट ने भी इनकी फांसी की सजा बरकरार रखी. लेकिन उसके बाद दो साल तक यह केस सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग रहा, किसी ने इसे मेंशन नहीं कराया.

निर्भया की वकील सीमा समृद्धि कुशवाह का कहना है कि यह स्टेट का बहुत बड़ा नेग्लीजेंस है कि अपने केस को मेंशन नहीं कराया. सन 2015 में मैंने केस मेंशन करवाया.

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जुलाई 2016 में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई और सुप्रीम कोर्ट ने करीब 11 महीने सुनवाई करने के बाद दोषियों की फांसी सजा बरकरार रखी. इसके बाद तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पीटीशन लगाई, जो 9 जुलाई 2018 को खारिज़ हो गई. कानून के मुताबिक जेल प्रशासन को उसके बाद दोषियों को दया याचिका लगाने के कहना चाहिए था लेकिन नहीं कहा गया, जिसकी वजह से छह महीने और देरी हो गई.

वकील सीमा समृद्धि कहती हैं कि जेल मैनुअल यह कहता है रिव्यू खारिज़ होने के बाद जेल को कहना होता है कि सात दिन के अंदर मर्सी पिटीशन दाखिल करें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं कहा.

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इसके बाद 13 दिसम्बर 2018 को पटियाला हाउस कोर्ट में सीमा ने अर्जी लगाकर केस से जुड़ी जानकारी मांगी तब कोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस जारी करके स्टेटस रिपोर्ट मांगी. फिर एक आरोपी अक्षय ने कहा कि उसे रिव्यू फ़ाइल करनी है. जबकि 13 दिन का समय होता है रिव्यू फ़ाइल करने का.

इसके बाद इसी साल अप्रैल में विनय शर्मा ने क्यूरेटिव पिटीशन लगाई लेकिन वह डिसमिस हो गई. फिर चार नवंबर 2019 को विनय शर्मा ने मर्सी पिटीशन लगाई, जो अब राष्ट्रपति के पास है. इस दौरान कई जज बदले, कोर्ट की छुट्टियां रहीं, जिससे मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा. अब 13 दिसम्बर को मामले की अगली सुनवाई है.

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कानूनी पहलुओं और अदालत की चौखट से गुजरते हुए यह मामला अब लगभग अपने आखिरी पड़ाव पर है. उम्मीद है कि अब पीड़ित परिवार का इंसाफ के लिए इंतजार जल्दी खत्म होगा.

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