नई दिल्ली:
दिल्ली हाइकोर्ट में आज दिल्ली सरकार के विज्ञापनों पर रोक लगाने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई हुई। दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कोई रिलीफ नहीं दिया और किसी भी प्रकार से विज्ञापन पर रोक से इनकार कर दिया। वहीं, कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर पूछा है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशानिर्देश पर सरकार ने क्या किया है।
कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर समिति बनाने का काम केंद्र का है। इस मामले में दिल्ली सरकार का कोई लेना देना नहीं है। केंद्र इस मामले में 3 अगस्त को जवाब दाखिल करेगा।
ये याचिका न्यायपथ नाम के एक NGO की ओर से दायर की गई थी।
एनजीओ की ओर से इस याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार की ओर से दिए जा रहे विज्ञापन ना केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हैं बल्कि ये भ्रामक भी हैं।
NGO के मुताबिक इन विज्ञापनों के जरिये सिर्फ एक व्यक्ति को बढ़ावा दिया गया है और बाकी सभी दलों की बुराई की गई है। NGO ने कहा है कि ये विज्ञापन पूरी तरह से आम जनता के पैसे का दुरुपयोग है और इन पर रोक लगनी चाहिए।
इससे पहले हाइकोर्ट में ही चीफ जस्टिस जी रोहिणी की बेंच ने कांग्रेसी नेता अजय माकन की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि सरकारी विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन करने और निगरानी के लिए पैनल के गठन के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
हालांकि केंद्र सरकार ने भी सुनवाई के दौरान केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि विज्ञापनों में केंद्र को भी निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि कोर्ट ने विज्ञापनों पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा था कि केंद्र के जवाब के बाद 27 जुलाई को मामले की सुनवाई होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने माकन की याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा था कि वो हरेक याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकता। इस मामले में हाइकोर्ट में अर्जी दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर समिति बनाने का काम केंद्र का है। इस मामले में दिल्ली सरकार का कोई लेना देना नहीं है। केंद्र इस मामले में 3 अगस्त को जवाब दाखिल करेगा।
ये याचिका न्यायपथ नाम के एक NGO की ओर से दायर की गई थी।
एनजीओ की ओर से इस याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार की ओर से दिए जा रहे विज्ञापन ना केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हैं बल्कि ये भ्रामक भी हैं।
NGO के मुताबिक इन विज्ञापनों के जरिये सिर्फ एक व्यक्ति को बढ़ावा दिया गया है और बाकी सभी दलों की बुराई की गई है। NGO ने कहा है कि ये विज्ञापन पूरी तरह से आम जनता के पैसे का दुरुपयोग है और इन पर रोक लगनी चाहिए।
इससे पहले हाइकोर्ट में ही चीफ जस्टिस जी रोहिणी की बेंच ने कांग्रेसी नेता अजय माकन की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि सरकारी विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन करने और निगरानी के लिए पैनल के गठन के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
हालांकि केंद्र सरकार ने भी सुनवाई के दौरान केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि विज्ञापनों में केंद्र को भी निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि कोर्ट ने विज्ञापनों पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा था कि केंद्र के जवाब के बाद 27 जुलाई को मामले की सुनवाई होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने माकन की याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा था कि वो हरेक याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकता। इस मामले में हाइकोर्ट में अर्जी दी जानी चाहिए।
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