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This Article is From Nov 20, 2015

आवारा कुत्तों से निपटने के सवाल से दिल्ली हाईकोर्ट हुआ दो-चार

आवारा कुत्तों से निपटने के सवाल से दिल्ली हाईकोर्ट हुआ दो-चार
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के सामने शुक्रवार को यह सवाल आया कि उसके परिसरों में आवारा कुत्तों के साथ क्या किया जाना है और उनसे कैसे निपटा जाना है, क्योंकि नियम कहते हैं कि कुत्तों को बंध्यीकरण करने और उन्हें असंक्रमित करने के बाद वापस उसी जगह पर छोड़ना होगा।

आदेश रखा गया सुरक्षित
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंतनाथ की पीठ ने दिल्ली गोल्फ क्लब के परिसर से एक महीने के अंदर आवारा कुत्तों को हटाकर दूसरी जगह पहुंचाने के लिए एनडीएमसी को दिए गए एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा। न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला ने चार नवंबर के अपने आदेश में कहा था कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद कुत्तों के बंध्यीकरण के बाद उन्हें वापस क्लब की निजी संपत्ति में छोड़ने पर जोर नहीं दे सकती, जहां से उन्हें उठाया गया था।

कुत्तों को दूसरे इलाकों में नहीं छोड़ा जा सकता
चार नवंबर के आदेश को चुनौती देने वाले भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने कहा कि पशुओं के साथ क्रूरता रोकथाम कानून के तहत बनाए गए पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2001 के तहत कुत्तों को दूसरे इलाकों में नहीं छोड़ा जा सकता। पीठ ने कहा, ‘‘हमें बताइए कि अगर 25 आवार कुत्ते उच्च न्यायालय परिसर में घुस आए, जो कि एक सार्वजनिक जगह है, तो उनसे कैसे निपटा जा सकता है। कथित नियमों के तहत उन्हें बंध्यीकरण या अंसक्रमित करने के बाद उसी इलाके में फिर से छोड़ना होगा। अगर पशुओं के अपने अधिकार हैं तो मनुष्य के भी हैं।’’

पहले भी इस तरह के हालात का सामना कर चुका है हाईकोर्ट
बोर्ड के एक वकील ने जवाब दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट पहले भी इस तरह के हालात का सामना कर चुका है। जब बड़ी संख्या में कुत्ते टाइपिंग पूल के पास रहते थे और एनडीएमसी को उन्हें वहां से हटाने के लिए बुलाया गया था।

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