दिल्ली में डेंगू के मरीज बढ़े, रोकथाम की कोशिशें नाकाफी

दिल्ली में डेंगू के मरीज बढ़े, रोकथाम की कोशिशें नाकाफी

नई दिल्ली:

दिल्ली में डेंगू के चलते दो मरीजों की मौत हो गई है और मरीजों की तादात बढ़कर साढ़े पांच सौ हो गई है। इसके बावजूद मच्छरों की रोकथाम के लिए 30 साल से हेल्थ इंस्पेक्टर की भर्ती नहीं हुई है। डेंगू जहां अपने पैर पसारता जा रहा है वहीं नगर निगम और दिल्ली सरकार इस पर प्रभावी रोकथाम के लिए वैसे प्रयास नहीं कर रही जैसे प्रयासों की जरूरत है।  

डेंगू के मच्छर कहीं भी पनप सकते हैं। हेल्थ इंस्पेक्टर सुरेश के इलाके में करीब तीन लाख लोग रहते हैं और एक लाख के करीब मकान है। सुरेश बताते हैं कि कई घरों में हम मच्छरों की ब्रीडिंग चेक करने जाते हैं लेकिन लोग दरवाजा नहीं खोलते हैं। कभी-कभी तो झगड़ा तक करते हैं। यही नहीं उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम फंड की कमी से भी जूझ रहे हैं। इसका असर फॉगिंग और सफाई पर भी पड़ रहा है।

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर रवींद्र गुप्ता का कहना है कि फंड की कमी तो है लेकिन हम दिन-रात डेंगू को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। वे यह भी जोड़ते हैं कि दिल्ली सरकार उन्हें सहयोग नहीं करती है। इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन कहते हैं कि अगर फंड होने से कोई मरीज नहीं आएगा तो वे फंड देने के लिए तैयार हैं, जितना निगम मांगेगा।

उधर दिल्ली सरकार ने डेंगू के मद्देनजर ब्रूफेन और एस्प्रिन जैसी दवाओं पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद यह दवाएं धड़ल्ले से हर मेडीकल स्टोर पर बिना डाक्टरों की पर्ची के दी जा रही हैं। हालांकि दिल्ली सरकार का कहना है कि अब वह मेडीकल स्टोरों पर इंस्पेक्टर भेजकर छापेमारी करवाएगी।

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डाक्टरों का कहना है कि यह दवाएं इसलिए डेंगू के मरीज को नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे मरीजों में ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही प्लेट्लेट्स कम होने की आशंका होती है। इतना तय है कि डेंगू से बचना है तो निगम और दिल्ली सरकार के प्रयास नाकाफी हैं। फिक्र आपको करनी होगी, आखिर जान आपकी है।