प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से सौंपे गए दो कांपैक्ट डिस्क की जांच करे जिसमें कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को उनकी कथित भूमिका के लिये क्लीनचिट दी गई है.
1984 के सिख पीड़ितों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने बताया कि अदालत ने दिसम्बर 2015 से धीमी गति से जांच के लिए सीबीआई की खिंचाई भी की. अदालत ने सीबीआई को मामले की आगे जांच करने के निर्देश दिए और एजेंसी के पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि वह 24 फरवरी तक स्थिति रिपोर्ट दायर करें.
सिख विरोधी हिंसा के मामलों की निगरानी करेगा सुप्रीम कोर्ट, जांच करेगी एसआईटी
अतिरिक्त चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अमित अरोड़ा ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह पता लगाए कि मामले में गवाह विवादास्पद हथियार डीलर अभिषेक वर्मा का यहां आर्मी हॉस्पिटल में पॉलीग्राफ टेस्ट हो सकता है या नहीं.
टाइटलर ने दंगे में अपनी भूमिका से इंकार किया था लेकिन अदालत ने आगे की जांच के आदेश दिए जबकि सीबीआई मामले में पहले ही तीन बार क्लोजर रिपोर्ट दायर कर चुकी है. पीड़ितों ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी.
दंगा मामले में सीबीआई ने टाइटलर को तीन बार क्लीनचिट दी थी और उन्होंने पॉलीग्राफ टेस्ट (झूठ का पता लगाने के लिये जांच) से इंकार कर दिया था. वहीं अभिषेक वर्मा इस शर्त पर टेस्ट के लिए राजी हुए थे कि उन्हें चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जाए क्योंकि उनकी जान को खतरा है.
VIDEO: 1984 की सिख विरोधी हिंसा पर नई SIT का आदेश
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
1984 के सिख पीड़ितों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का ने बताया कि अदालत ने दिसम्बर 2015 से धीमी गति से जांच के लिए सीबीआई की खिंचाई भी की. अदालत ने सीबीआई को मामले की आगे जांच करने के निर्देश दिए और एजेंसी के पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि वह 24 फरवरी तक स्थिति रिपोर्ट दायर करें.
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अतिरिक्त चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अमित अरोड़ा ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह पता लगाए कि मामले में गवाह विवादास्पद हथियार डीलर अभिषेक वर्मा का यहां आर्मी हॉस्पिटल में पॉलीग्राफ टेस्ट हो सकता है या नहीं.
टाइटलर ने दंगे में अपनी भूमिका से इंकार किया था लेकिन अदालत ने आगे की जांच के आदेश दिए जबकि सीबीआई मामले में पहले ही तीन बार क्लोजर रिपोर्ट दायर कर चुकी है. पीड़ितों ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी.
दंगा मामले में सीबीआई ने टाइटलर को तीन बार क्लीनचिट दी थी और उन्होंने पॉलीग्राफ टेस्ट (झूठ का पता लगाने के लिये जांच) से इंकार कर दिया था. वहीं अभिषेक वर्मा इस शर्त पर टेस्ट के लिए राजी हुए थे कि उन्हें चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जाए क्योंकि उनकी जान को खतरा है.
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