अपने 'बॉस' तथा 'तहलका' पत्रिका के सम्पादक तरुण तेजपाल पर योन शोषण करने का आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार का कहना है कि उसे पूरे मामले पर 'तहलका' की प्रतिक्रिया से 'बेहद निराशा' हुई है। महिला पत्रकार ने एनडीटीवी से कहा, "यह दावा भी झूठा है कि 'तहलका' के अन्य पत्रकार संतुष्ट हैं, क्योंकि उन्होंने मेरे बयान को 'तहलका' कार्यालय में सार्वजनिक नहीं किया, सिर्फ तरुण के 'प्रायश्चित्त पत्र' को ही सार्वजनिक किया..."
बुधवार शाम को तरुण तेजपाल ने इस मामले में कहा था कि वह उनके मुताबिक 'एक गलत फैसले व परिस्थितियों को समझने में हुई भारी भूल' के 'प्रायश्चित्त' के रूप में छह महीने के लिए पदत्याग कर रहे हैं।
उधर, गोवा पुलिस ने कहा है कि वह इस मामले में ग्रैंड हयात होटल को खत भेजकर होटल की सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने को कहेगी।
समाचार-पत्रिका के प्रबंध-सम्पादक शोमा चौधरी ने आज कहा कि हम पीड़ित लड़की के संपर्क में हैं। हमें कार्रवाई के लिए वक्त थोड़ा वक्त चाहिए। हम उचित कार्रवाई करेंगे।
इससे पहले बुधवार को शोमा ने एनडीटीवी को बताया था, यह आंतरिक मामला है... की गई कार्रवाई से संबंधित पत्रकार भी संतुष्ट है..।
दूसरी ओर, महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ताओं ने 'तहलका' के सम्पादक पद, तथा कार्यालय से छह माह के लिए खुद को अलग कर लेने के निर्णय को अनुचित तथा कतई नाकाफी बताया है। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की निर्मला सामंत ने कहा, "यह सही नहीं है कि कोई अपने ही किसी कृत्य के लिए खुद को दंडित करे... उसके लिए हमारे पास न्यायपालिका है..."
शिकायतकर्ता महिला पत्रकार से निकट संपर्क में होने का दावा करने वाली कार्यकर्ता कविता कृष्णन का कहना है, "इस मामले में 'तहलका' की प्रतिक्रिया अपर्याप्त है, और चौंका देने वाली है... प्रायश्चित्त करना हमारी स्थापित प्रक्रिया तथा दंड विधान का विकल्प नहीं हो सकता... मैं इस बात से स्तब्ध हूं कि 'तहलका' का दावा है कि शिकायतकर्ता पूरी तरह संतुष्ट है, जबकि उसने हमें स्वयं बताया है कि वह संतुष्ट नहीं है..."
महिला पत्रकार ने आरोप लगाया था कि तरुण तेजपाल ने पत्रिका द्वारा इसी महीने की शुरुआत में गोवा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उस पर हमला किया। पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी किरण बेदी का कहना था कि 'तहलका' को इस मामले में इस बात पर सफाई ज़रूर देनी होगी कि उनके यहां इस तरह की शिकायतों से निपटने के लिए आंतरिक समिति मौजूद है या नहीं, जो कानूनन अनिवार्य है।
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