दही हांडी की ऊंचाई 20 फुट से ज्यादा नहीं बढ़ेगी : सुप्रीम कोर्ट

दही हांडी की ऊंचाई 20 फुट से ज्यादा नहीं बढ़ेगी : सुप्रीम कोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो

मुंबई:

महाराष्ट्र में दही-हांडी मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि दही-हांडी की ऊंचाई 20 फुट से ज्यादा नहीं बढ़ेगी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि बच्चों पर रोक के लिए वह तैयार हैं, लेकिन 20 फुट की ऊंचाई पर रोक हटाई जानी चाहिए. देश-विदेश में दही-हांडी प्रसिद्ध है और पिरामिड की ऊंचाई को लेकर गिनीज बुक रिकॉर्ड भी मिल चुका है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि क्या आप ओलिंपिक में मेडल भी लाते हैं. अगर आप मेडल लाएंगे तो हमें खुशी होगी.

गौरतलब है कि 17 अगस्त को महाराष्ट्र में दही हांडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. इसके मुताबिक, इसमें 18 साल से कम उम्र के बच्चे भाग नहीं लेंगे और दही हांडी की ऊंचाई 20 फुट से ज्यादा नहीं रहेगी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह मामले की अक्तूबर में सुनवाई जारी रखेगा.

इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दही हांडी के खिलाफ याचिकाकर्ता स्वाती पाटिल को नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुरानी याचिका का निस्तारण हो चुका है. याचिका को दोबारा शुरू किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सरकार की दही-हांडी के मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई कर रहा था.

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 2014 के आदेशों में स्पष्टता देने की गुहार लगाई थी, जिसमें 12 साल तक के बच्चों को दही-हांडी में हिस्सा लेने की इजाजत दी गई थी और साथ ही हाईकोर्ट के 20 फुट की ऊंचाई सीमित करने के आदेश पर रोक लगा दी थी. सरकार का कहना है कि क्या यह आदेश एक साल के लिए था या अभी भी लागू है?
 
महाराष्ट्र सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 11 अगस्त 2014 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 18 साल से कम के युवक दही-हांडी में हिस्सा नहीं ले सकते और इसकी ऊंचाई भी 20 फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. आयोजकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए 12 साल तक के बच्चों को हिस्सा लेने की इजाजत दे दी थी और ऊंचाई के आदेश पर भी रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का निस्तारण कर दिया.

ASG के मुताबिक, अब हाईकोर्ट इस मामले में अदालत की अवमानना का मामला मानते हुए सुनवाई कर रहा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश के बारे में स्पष्ट करे कि आखिर ये छूट सिर्फ उसी साल के लिए थी या आगे भी लागू रहेगी.


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