किसान गायों की देखरेख न कर पाने की वजह से उन्हें गोशालाओं में छोड़ दे रहे हैं
नई दिल्ली:
गोरक्षकों के डर से किसान गायों को व्यापारियों को बेचने की बजाय गोशालाओं में छोड़कर जाने के लिए मजबूर हैं. पिछले कुछ महीनों में ही गोशालाओं में गायों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. हालात ये हैं कि गोशाला चलाने वालों को इतनी गायों की देखरेख करने में समस्या आ रही है. हमने भी ऐसी ही एक गौशाला जाकर हक़ीकत जानने का प्रयास किया. दनकौर की द्रोणाचार्य गोशाला उत्तर प्रदेश की बड़ी गोशालाओं में से एक है. अचानक कुछ महीनों में यहां गायों की संख्या बढ़ गई है. किसान यहां रोज़ लगभग 3 से 4 गाय छोड़ के जा रहे हैं. आलम ये हो गया है कि अब यहां बछड़े, बैल मिलाकर कुल 850 गाय-गोरू हैं जिनकी देखभाल के लिए सिर्फ़ 35 ही कर्मचारी हैं. यह गोशाला दान से चलती है तो संसाधन बेहद सीमित हैं, सिर्फ़ मई में ही लगभग 60 से ज़्यादा गाय यहां किसान छोड़ गए हैं.
गोशाला में काम करने वाले धनेश बताते हैं कि, "पिछले कुछ दिनों में गाय बढ़ गई हैं, हम इंतज़ाम कर रहे हैं पर परेशानी हो रही है. किसान डर से छोड़ जा रहे हैं लेकिन हमारे पास भी संसाधन कम हैं.' कुछ दिनों पहले ही जेवर में एक गांव से दूसरे गांव दुधारू गाय ले जा रहे दो किसानों को कुछ गोरक्षकों ने सिर्फ शक पर बुरी तरह पीटा था. इससे एक किसान की पसलियां तक टूट गईं थीं. या फिर अलवर में हुई पहलू ख़ान की हत्या हो, ऐसी कई घटनाओं की वजह से किसान अपनी गायों को मंडी ले जाने में डरने लगा है, साथ ही व्यापारी भी डरे हुए हैं.
किसान गायों की देखरेख न कर पाने की वजह से उन्हें गोशालाओं में छोड़ दे रहे हैं. दनकौर के घरबरा गांव में रहने वाले हरीश भाटी बताते हैं कि, "व्यापारियों ने गाय ख़रीदनी बंद कर दी है, समाज में भय का माहौल है, ज़्यादातर व्यापारी मुसलमान हैं हमारे इधर जिस वजह से डर ज़्यादा है. ऐसे में ग़रीब किसान क्या करेगा, कब तक बीमार या दूध ना देने वाली गायों को खिलाएगा. ऐसे में सिर्फ़ गोशाला में ही छोड़ना एक विकल्प बचता है."
निकलते वक़्त अचानक नज़र एक कमज़ोर गाय पर पड़ी जिसमें शायद उठने की ताक़त भी नहीं है. गोशाला में काम करने वालों ने बताया कि इस गाय का नाम नंदिनी है जिसे आज ही उसका गरीब मालिक यहां इस हालत में छोड़ गया है.
गोशाला में काम करने वाले धनेश बताते हैं कि, "पिछले कुछ दिनों में गाय बढ़ गई हैं, हम इंतज़ाम कर रहे हैं पर परेशानी हो रही है. किसान डर से छोड़ जा रहे हैं लेकिन हमारे पास भी संसाधन कम हैं.' कुछ दिनों पहले ही जेवर में एक गांव से दूसरे गांव दुधारू गाय ले जा रहे दो किसानों को कुछ गोरक्षकों ने सिर्फ शक पर बुरी तरह पीटा था. इससे एक किसान की पसलियां तक टूट गईं थीं. या फिर अलवर में हुई पहलू ख़ान की हत्या हो, ऐसी कई घटनाओं की वजह से किसान अपनी गायों को मंडी ले जाने में डरने लगा है, साथ ही व्यापारी भी डरे हुए हैं.
किसान गायों की देखरेख न कर पाने की वजह से उन्हें गोशालाओं में छोड़ दे रहे हैं. दनकौर के घरबरा गांव में रहने वाले हरीश भाटी बताते हैं कि, "व्यापारियों ने गाय ख़रीदनी बंद कर दी है, समाज में भय का माहौल है, ज़्यादातर व्यापारी मुसलमान हैं हमारे इधर जिस वजह से डर ज़्यादा है. ऐसे में ग़रीब किसान क्या करेगा, कब तक बीमार या दूध ना देने वाली गायों को खिलाएगा. ऐसे में सिर्फ़ गोशाला में ही छोड़ना एक विकल्प बचता है."
निकलते वक़्त अचानक नज़र एक कमज़ोर गाय पर पड़ी जिसमें शायद उठने की ताक़त भी नहीं है. गोशाला में काम करने वालों ने बताया कि इस गाय का नाम नंदिनी है जिसे आज ही उसका गरीब मालिक यहां इस हालत में छोड़ गया है.
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