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This Article is From Feb 21, 2022

महाराष्ट्र में कोरोना से हुई मौतों के मुआवजे के लिए सरकारी आंकड़े से दोगुना ज्यादा अर्ज़ियां

मुंबई में कोविड से अब तक 16,687 मौतें हुईं हैं. लेकिन मुआवज़े के लिए 35,138 आवेदन आए हैं. जो कि सरकारी आंकड़े से दोगुना है.

महाराष्ट्र में कोरोना से हुई मौतों के मुआवजे के लिए सरकारी आंकड़े से दोगुना ज्यादा अर्ज़ियां
7 मार्च को  उच्चतम न्यायालय में ये मामला फिर सुना जाएगा
मुंम्बई:

महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) से जान गंवाने वालों के परिवार वालों को 50,000 रुपए की सहायता राशि (Covid Death Compensation) देने को एलान किया था. जिसके बाद परिजनों ने आवेदन भेजना शुरू कर दिया. कोरोना से जान गंवाने वालों के लिए मदद राशि देने का ऐलान हुआ लेकिन मुंबई शहर में अब तक क़रीब 60% आवेदन रिजेक्ट हुए हैं. असल में कोविड से हुई मौतों के दो आंकड़े हैं, एक सरकारी और दूसरे सरकार की दहलीज़ तक मुआवज़े की अर्ज़ियों की शक्ल में पहुंचे आंकड़े. एनडीटीवी को मिली रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में कोविड से अब तक 16,687 मौतें हुई हैं. लेकिन मुआवज़े के लिए 35,138 आवेदन आए हैं. जो कि सरकारी आंकड़े से दोगुना है.  

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इनमें से 12,871 आवेदन रद्द कर दिए गए हैं और 21,436 को मंज़ूरी मिली है. मंज़ूर आवेदनों में से 2,216 को यानी क़रीब 10% पीड़ित परिवारों को भुगतान राशि अब तक भेजी गयी है. कोविड मुआवज़े के लिए मंज़ूर हुई मौतें, सरकारी मौतों से क़रीब 28% ज़्यादा हैं. यानी शहर में 4,700 से ज़्यादा कोविड से हुई मौतें रिपोर्ट नहीं हुईं. मुंबई में, 187 आवेदन फिलहाल मुआवज़े की मंजूरी के लिए क़तार में हैं. 

इधर महाराष्ट्र में अब तक कोविड से 1,43,582 लोगों की मौत हुई है. मुआवज़े के लिए 2,27,107 आवेदन प्राप्त हुए हैं यानी कि मौत के सरकारी आंकड़े से क़रीब 58% ज़्यादा लोगों ने जान गवाई है. जिनमें से 61,848 अर्ज़ियां डूप्लिकेशन, तकनीकी ख़ामियों या कमियों के कारण रद्द हुई हैं. पीड़ित परिवार कैमरे पर आने से परहेज़ कर रहे हैं तो सरकार सीधे सुप्रीम कोर्ट में सफ़ायी दे रही है. 

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इधर कोविड ड्यूटी के दौरान ज़िंदगी खोने वाले निजी डॉक्टरों के परिवारों को आईएमए खुद फ़ंडिंग के ज़रिए सहायता राशि भेज रहा है. आईएमए महाराष्ट्र के पूर्व अध्यक्ष डॉ अविनाश भोंडवे ने बताया, "कोविड से अपने परिजनों को खोने वाले पीड़ित परिवारों को वित्तीय सहायता के मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी लगातार सख़्त रहा है, और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अंडर सेक्रेटरी या इससे ऊपर के दर्जे के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है. 7 मार्च को  उच्चतम न्यायालय में ये मामला फिर सुना जाएगा." 

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