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This Article is From May 22, 2020

कोरोना से जंग में 24 घंटे काम में जुटी एंबुलेंस टीमें, लेकिन महीनों से नहीं मिल रही है सैलरी

महीनों से अपना बकाया वेतन नहीं मिलने की वजह से इन लोगों के लिए अपने परिवार से मिलना मुश्किल होता जा रहा है. इस टीम के सदस्य शंकर ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा...

कोरोना से जंग में 24 घंटे काम में जुटी एंबुलेंस टीमें, लेकिन महीनों से नहीं मिल रही है सैलरी
तिरुवनंतपुरम:

एक फोन कॉल मिलने के कुछ ही सेकंड में, गणेश और प्रशांत तुरंत अपनी पीपीई किट पहनकर कर तैयार हो जाते हैं. ये दोनोंकेरल में कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में फ्रंटलाइन वर्कर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. चंद मिनटों के भीतर, दो औरपुरुष अपने पीपीई में बदलने के लिए एक ही कमरे में भागते हैं. चौबीस घंटे काम करने वाले ये लोग केरल में COVID-19 एम्बुलेंस की इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीमों का हिस्सा हैं.

इस इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के साथ एक टेक्निशियन गणेश ने बताया, "हम एक क्वारंटाइन सेंटर में जा रहे हैं. किसी को सैंपल कलेक्शन के लिए अस्पताल ले जाने की आवश्यकता है. मैं तीन दिनों से इस ड्यूटी पर हूं. मैं अपने परिवार में लौटने से पहलेकुछ दिनों के लिए लगातार काम करता हूं. मुझे गर्व है कि मैं इस टीम का एक हिस्सा हूं."

कोरोना से युद्ध में एबुलेंस टीम अहम भूमिका निभा रही हैं, स्वास्थ्य अधिकारियों औऱ जिला स्तरीय कोविड वार रूम्स के निर्देशों पर लोगों को एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और क्वारंटाइन सेंटर्स से अस्पताल ले जाती है. इस एंबुलेंस टीम के सदस्य राजीव ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'जब भी हम COVID-19 संदिग्धों के साथ ड्यूटी पर होते हैं, हम सुनिश्चित करते हैं कि हम सावधानी बरतें, पीपीई किट और मास्क पहनें. यदि किसी मरीज का टेस्ट पॉजिटिव आता है तो हम एहतियात के तौर पर 3-4 दिनों तक दूर रहने के बाद ही अपने परिवारों में लौटते हैं.'

हालंकि महीनों से अपना बकाया वेतन नहीं मिलने की वजह से इन लोगों के लिए अपने परिवार से मिलना मुश्किल होता जा रहा है. इस टीम के सदस्य शंकर ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'हम चौबीसों घंटे काम करने के लिए तैयार हैं. लेकिन, हम अपनी सैलरी चाहते हैं समय पर. ये बड़ी मात्रा में नहीं हैं, 10,000-25,000 रु है. हम अभी तक हमारा अप्रैल का वेतन नहीं मिला है. हमारा जनवरी के बाद से कुछ आंशिक बकाया भी है. इस तरह से जारी रखना हमारे लिए कठिन है'

एंबुलेंस टीम के साथ प्रशांत ने कहा, 'हम इस समय अपने वेतक को लेकर किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि कोविड-19 के चलते यह आपात स्थिति है. लेकिन यह हमारे और हमारे परिवार के लिए बहुत मुश्किल भरा है.' यहां राज्य में लगभग 108 ऐसी एंबुलेंस हैं जो कि जीवीके ईएमआरआई (मेडिकल इमरजेंसी सर्विस प्रदाता) द्वारा संचालित होती है. इस कंपनी की देशभर में 1,50,000 एंबुलेंस सेवा में लगी है.

कंपनी के एक सूत्र ने कहा कि फंड के मुद्दे को लेकर भुगतानों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. "हमने फंड की कमी के चलते अप्रैल के वेतन का भुगतान नहीं किया है. जनवरी, फरवरी, मार्च के लिए आंशिक फंड की भी प्रतीक्षा है. हम अगले सप्ताह तक सरकारी फंड की उम्मीद कर रहे हैं."

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