Corona Pandemic: कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए दुनियाभर में वैक्सीन पर काम चल रहा है. कई वैक्सीन को लेकर ट्रायल जारी है. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कोरोना वैक्सीन लोगों को उपलब्ध होगा. कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) दिए जाने के बाद होने वाली प्रतिकूल घटनाओं की निगरानी मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार (Central Government)ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में कहा गया है कि राज्यों और जिलों में कोरोना वैक्सीनेशन की तैयारियां चल रही हैं. इसी के संबंध में Adverse events following immunization (AEFI) (यानी वैक्सीन दिए जाने के बाद होने वाले प्रतिकूल घटनाएं) के निगरानी सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है जिससे ये भरोसा बना रहे कि वैक्सीन सुरक्षित है .
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ नए कदमों की पहचान की है जिससे देश के मौजूदा AEFI निगरानी सिस्टम को मजबूत किया जा सके और समय से पूरी AEFI रिपोर्टिंग संभव हो सके. इन कदमों को तुरंत लागू किया जाए जिससे कि जो भी बदलाव करने की जरूरत है वह कोरोना वैक्सीन (COVID-19 vaccine) के आने से पहले ही हो जाएं.
कोरोना वैक्सीन के AEFI निगरानी सिस्टम को मजबूत करने के लिए यह कदम सुझाए गए हैं..
1. राज्यों और जिलों की AEFI समिति में बाल रोग विशेषज्ञ के अलावा मेडिकल स्पेशलिस्ट को भी शामिल करें जैसे न्यूरोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, रेस्पिरेट्री मेडिसिन स्पेशलिस्ट आदि. चूंकि जब वयस्क लोगों को वैक्सीन दी जाएगी तो हो सकता है उनको पुरानी गंभीर बीमारी हो जिसके चलते स्ट्रोक, हार्ट अटैक आदि जैसी घटनाएं हो सकती हैं. ऐसे में अगर समिति के अंदर मेडिकल स्पेशलिस्ट होंगे तो वह इस तरह की घटनाओं में इस बात की पहचान कर सकें और वैक्सीन दिए जाने वाली घटनाओं से अंतर कर सकें.
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2. हर राज्य को अपने यहां एक मेडिकल कॉलेज चुनना चाहिए जो स्टेट AEFI टेक्निकल कोलैबोरेटिंग सेंटर की तरह काम करेगा. इस मेडिकल कॉलेज के क्लिनिकल स्पेशलिस्ट जैसे न्यूरोलॉजिस्ट कार्डियोलॉजिस्ट, रेस्पिरेट्री मेडिसिन स्पेशलिस्ट ( बाल रोग विशेषज्ञ के अलावा) और डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन के एक्सपर्ट राज्य या या राज्य की AEFI की रैपिड कैजुअल्टी एसेसमेंट, केस इन्वेस्टिगेशन आदि में मदद करेंगे जिससे पता चल सके कि AEFI का क्या कारण रहा?
3. स्टेट AEFI कमेटी के एक्सपर्ट्स और स्टेट AEFI टेक्निकल कोलैबोरेटिंग सेंटर की ट्रेनिंग करवाई जाए जिससे इन्वेस्टिगेशन और कैजुअल्टी एसेसमेंट वह लोग कर सकें.
4. राज्य और ज़िले की AEFI कमेटी की निरंतर बैठक में हों
5. स्टेट AEFI कंसलटेंट हायर किए जाएं
6. व्यस्त लोगों की वैक्सीनेशन के दौरान होने वाले AEFI निगरानी की रिपोर्टिंग के लिए नेटवर्क बढ़ाया जाए.
7. वैक्सीन सेफ्टी के लिए कम्युनिकेशन प्लान- वैक्सीन सेफ्टी और वैक्सीन देने के बाद होने वाली प्रतिकूल घटनाओं के बारे में अफवाहों और भ्रम को रोकने के लिए सभी जिले एक कम्युनिकेशन प्लान तैयार करें.
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