Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस की महामारी का खौफ इस कदर है कि यूपी (UP) के तमाम हिस्सों में देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे प्रवासी मजदूरों को ग्रामीण, सीधे गांव में घुसने नहीं दे रहे हैं. मजबूरी में इन प्रवासी मजदूरों को कहीं बाग या खेत तो कहीं पेड़ के नीचे या किसी किसी दूसरी जगह पर 14 दिन के लिए क्वारंटाइन होना पड़ रहा है. वे मजदूर इस इंतजार में हैं कि इनका क्वारंटाइन का करीब दो हफ्ते का वक्त गुजरे और वे अपने घर में पहुंचें. इटावा के हरदासपुर गांव के बाहर पेड़ के नीचे दिन काट रहे सर्वेश गांव के दामाद हैं, वे जब बारात ले के गांव आये थे तो पूरे गांव ने अगवानी की थी. दूल्हे को देखने ढेरों औरतें और बच्चे जमा हुए थे लेकिन अब कोरोना महामारी के दौरान गुजरात से लौटे से ग्रामीणों ने भाव नहीं दिया और गांव में घुसने नहीं दिया.
सर्वेश ने जब सवाल पूछा गया कि जिस गांव में आप बाहर समय गुजार रहे, यह आपकी ससुराल हैं क्या दामाद को गांव वालों ने अंदर नहीं आने दिया तो उन्होंने जवाब न में दिया. उन्होंने बताया कि गांव वाले बोलते हैं कि अभी नहीं आने का, बाहर ही रहो. यह पूछने पर कि ससुराल वाले कुछ नहीं बोले, सर्वेश ने कहा-ससुराल वाले क्या बोलेंगे, गांव के सब लोग यह बोलते हैं. देव सिंह की कहानी भी अलग नहीं है. देव की तमाम उम्र इस गांव में गुजरी है जिसके बाहर पेड़ के नीचे अभी वे आसरा बनाए हुए हैं. गांव में उनका बड़ा सम्मान था. गुजरते थे तो महिलाएं घूंघट निकालकर रास्ते के किनारे खड़ी हो जाती थीं.कोई भैया तो कोई दादा कहकर चरण छूता था लेकिन मौत का डर सम्मान के आगे आ गया. उन्हें भी क्वारंटाइन का समय निकाले बिना गांव से घुसने नहीं दिया गया है.
बलिया के दुर्जनपुर गांव के बाहर पुरुषोत्तम खेत में क्वारंटाइन हैं. वे किसी सगाई में हरियाणा के पानीपत गए थे फिर लॉकडाउन में फंस गए. अब वापस आ पाए हैं. जिस स्कूल में उन्हें क्वारंटाइन होना था, वहां कोरोना का पेशेंट मिल गया. गांव में प्रवेश कर नहीं सकते लिहाज खेत में क्वारंटाइन होना पड़ा. पुरुषोत्तम ने कहा-वहां से अपने खेत में ही आ गए. खेत में इसलिए आ गए कि वहां पर हमें पता लगा कि दुर्जनपुर स्कूल पर तीन-चार को कोरोना निकल आया है. हमने सोचा कि वहां से अच्छा यहां पर है और हमने यहां पर रहने की व्यवस्था बना ली.
हालत यह है कि देवरिया के मथिया माफी गांव में बैरियर लगा के लठैत बैठाए गए हैं ताकि रात के समय कोई चोरी-छुपे यहां घुसने न पाए. गांव के प्रधान हरिकेश यादव ने कहा अपने ग्रामवासियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह बैरियर लगाया गया है ताकि बाहरी लोग गांव में प्रवेश न करें और गांव के लोग भी बाहर न जाएं.
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