Coronavirus Updates: देश में कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से रोहिंग्या शरणार्थियों की कोविड-19 जांच कराने को कहा है क्योंकि उनमें से कई ने निजामुद्दीन मरकज के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. सरकार के सूत्रों ने शुक्रवार को NDTV को यह जानकारी दी.
सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को रोहिंग्या शरणार्थियों का पता लगाने के लिए एक गहन अभियान चलाने को कहा गया है क्योंकि उनमें से कई अपने निर्धारित शिविरों से लापता हैं.
सूत्रों के मुताबिक, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए अलर्ट में कहा गया है कि रोहिंग्याओं के सभी संपर्कों को प्राथमिकता के आधार पर जांचने और जरूरी उपाय किए जाने की जरूरत है.
गृह मंत्रालय द्वारा राज्य पुलिस प्रमुखों और मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि रोहिंग्या मुसलमानों ने तबलीगी जमात के इज्तेमास और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया है और उनके कोरोनावायरस से संक्रमित होने की संभावना है.
पत्र में हैदराबाद, तेलंगाना, दिल्ली, पंजाब, जम्मू और मेवात में शिविरों में रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान के लिए विशेष ध्यान देने का आह्वान किया गया है.
पत्र में कहा गया है कि हैदराबाद, तेलंगाना के शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या लोग मेवात के इज्तेमा में शामिल हुए थे और फिर निजामुद्दीन के मरकज में गए थे. साथ ही शाहीन बागग के श्रम विहार में रहने वाले रोहिंग्या भी तब्लीगी गतिविधियों के लिए गए थे. वे अपने शिविरों में नहीं लौटे हैं.
सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में हुए तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए 30,000 लोगों अभी तक सरकार ने पता लगा लिया है.
खुफिया एजेंसियां मार्च के मध्य में निजामुद्दीन इलाके में हुए इस कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों का पता लगाने के लिए उनके मोबाइल फोन की लोकेशन व अन्य तकनीकी डाटा का इस्तेमाल कर रही हैं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "शुरुआत में, हम 10,000 फोनों का विश्लेषण कर रहे थे, लेकिन अब संख्या कई गुना बढ़ गई है. प्रत्येक राज्य अपने यहां ऐसे लोगों का पता लगा रहे हैं.''
भारत सरकार का अनुमान है कि देश भर में शिविरों में लगभग 40,000 रोहिंग्या हैं, जो म्यांमार में हिंसा और उत्पीड़न से भाग कर के पिछले कई वर्षों में यहां पहुंचे हैं. म्यांमार उन्हें नागरिकता देने से इनकार करता है.
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