कर्नाटक सरकार (Karnataka government) ने उन सभी 10 ट्रेनों को रद्द कर दिया है जिनसे इस सप्ताह प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers)को उनके घर पहुंचाए जाने की उम्मीद थी. विपक्षी कांग्रेस (Congress) पार्टी ने बीएस येदियुरप्पा सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए इसे इन श्रमिकों को 'बंधक' बनाना करार दिया है. इस बीच, मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) ने कहा है कि उन्होंने प्रवासी श्रमिकों से रुकने की "अपील" की थी क्योंकि राज्य में निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया है.दक्षिण पश्चिम रेलवे को लिखे लेटर में प्रवासी श्रमिक के नोडल अधिकारी एन मंजुनाथ प्रसाद ने अपने पहले के आग्रह का जिक्र करते हुए कहा: "हमने 5 दिनों के लिए प्रतिदिन दो ट्रेन सेवाओं को चलाने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया था. कल यानी 06.05.2020 के लिए तीन ट्रेनों की व्यवस्था की जा सकती है.” 5 मई को लिखे गए पत्र में कहा गया है, "चूंकि कल से ट्रेन सेवाओं की आवश्यकता नहीं है, इसलिए उपरोक्त संदर्भ के तहत पत्र को वापस ले लिया गया है."
गौरतलब है कि मजदूरों के 'देशव्यापी पलायन' के बीच केंद्र और राज्यों के बीच चली लंबी बातचीत के बाद पिछले सप्ताह प्रवासी मजदूरों को घर से पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनों को शुरू किया गया था. लॉकडाउन के कारण इन प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का खतरा पैदा हो गया था. काम नहीं मिलने के कारण इनकी आर्थिक स्थिति खस्ता हो गई थी. ऐसे में हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों ने अपने गृह राज्यों के लिए पैदल यात्रा शुरू कर दी थी. इनका तर्क था कि कोरोना वायरस की महामारी तो उन्हें बाद में मारेगी, इससे पहले ही भूख के कारण उनकी मौत हो जाएगी. जब लंबे विचारविमर्श के बाद केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों को घर लौटने की अनुमति दी तो राज्यों ने इसके लिए विशेष रेलगाड़ी चलाने की मांग की थी. इनका कहना था कि लाखों मजदूरों और उनके परिवारों को भारी दूरी पर बस से भेजना व्यावहारिक नहीं है. हालांकि, कई राज्य प्रवासी मजदूरों को भेजने से हिचक रहे हैं. ये 25 मार्च से चल रहा लॉकडाउन जल्द खत्म होने और औद्योगिक उत्पादन फिर से शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं.
सीएम येदियुरप्पा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमने 3,500 बसों और ट्रेनों में लगभग एक लाख लोगों को उनके घर-कस्बों में वापस भेज दिया है. मैंने प्रवासी श्रमिकों से भी बने रहने की अपील की है क्योंकि निर्माण कार्य अब फिर से शुरू हो गया है." सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों बिल्डर्स के साथ बैठक की थी, जहां कई लोगों ने शिकायत की थी कि उनके पास पर्याप्त श्रमिक नहीं हैं. राज्य ने निर्माण श्रमिकों के लिए 3,000 रुपये की अतिरिक्त राशि की घोषणा की है. यह राशि उन्हें पहले मिलने वाले 2,000 रुपये के अलावा होगी. इसके अलावा, लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित ग्रुप के लिए 1,600 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की गई है. कांग्रेस ने राज्य सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई. वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा "हम उन्हें (प्रवासी मजदूरों को) बंधक नहीं बना सकते. हमें उन्हें विश्वास में लेना होगा. सरकार और बिल्डरों को उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिए." दूसरी ओर, बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने राज्य सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए एक ट्वीट किया.
Stoppage of inter-state trains by Sri @BSYBJP is a bold and necessary move.
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) May 6, 2020
It will help migrant labourers who came here with hopes of a better life to restart their dreams. Also, it will kickstart economic activities full throttle.
Karnataka will emerge out of this stronger!
भाजपा के जगदीश शेट्टार ने कहा कि सरकार ने पिछले तीन या चार दिनों में लाखों लोगों को घर जाने में मदद की है. उन्होंने कहा, "जो कोई भी इच्छुक है वह यहां रह रहा है. यदि वे इसके प्रति अनिच्छा दिखाते हैं तो उन्हें वापस भेज दिया जाएगा. यदि कोई मांग है, तो निश्चित रूप से हम मुख्यमंत्री से अनुरोध करेंगे."
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