एक रिसर्च में सामने आया है कि आखिर कैसे फरवरी में हुए एक इवेंट के चलते पूरे अमेरिका में कोरोनावायरस (US Covid-19 Outbreak) कैसे फैला और यहां महामारी के सबसे ज्यादा प्रभाव की शुरुआत कैसे हुई. Broad Institute, Massachusetts General Hospital और Massachusetts Department of Public Health सहित कई संस्थानों में 54 से ज्यादा रिसर्चर्स ने लगभग 800 कोरोनावायरस जीनोम का अध्ययन किया है, जिसे मंगलवार को वेबसाइट MedRxiv पर पब्लिश किया गया है. यह रिसर्च शायद अब तक अमेरिका में किसी भी वायरस के आउटब्रेक का सबसे गहरा विश्लेषण है.
दरअसल, फरवरी में अमेरिका के बॉस्टन में ड्रग कंपनी Biogen की सालाना लीडरशिप मीटिंग हुई थी. जिसमें दुनियाभर से कर्मचारी और मेहमान आए थे. दो दिन तक चली इस मीटिग में किसी को भी शक नहीं हुआ कि उनमें से एक शख्स के फेफड़ों में कोरोनावायरस मौजूद है. 27 फरवरी तक मीटिंग खत्म होने तक कई लोगों तक वायरस पहुंच चुका था. यहां वायरस का प्रसार हुआ और मीटिंग खत्म होने के बाद कुछ लोग वापस जहां से आए थे, वहां चले गए. कोई इंडियाना गया, कोई नॉर्थ कैरोलाइना तो कोई बॉस्टन के उपनगरों में. वहीं स्लोवाकिया, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से आए लोग भी वापस चले गए. अगले दो हफ्तों में यहां से निकला वायरस 35 नए मामलों में सामने आया. अप्रैल में बॉस्टन के उपनगरीय इलाकों में यह वायरस दो बेघरों के शेल्टरों में फैल गया, जहां 122 लोग संक्रमित पाए गए.
दरअसल, वैज्ञानिकों को संक्रमण के इस चेन का पता कोरोनावायरस के रेप्लिकेशन प्रोसेस में हुई गलती की वजह से चला है. इस प्रोसेस में वायरस के 30,000 कैरेक्टर वाले जीनोम कोड में दो अक्षरों का आपस में बदलाव होता है. वायरस का यह म्यूटेशन फरवरी में बायोजेन की कॉन्फ्रेंस के वक्त ही फ्रांस में दो वृद्ध मरीजों में मिला था. कॉन्फ्रेंस के बाद इस वायरस का संक्रमण जहां भी फैला, यह म्यूटेशन भी उसके साथ फैलता रहा. इस स्टडी में पाया गया है कि इस म्यूटेशन वाला वायरस बॉस्टन के कई इलाकों में सैकड़ों को लोगों को शिकार बना चुका है, वहीं ऐसे वायरस वाले मरीज सेनेगल और लग्ज़मबर्ग तक पाए गए हैं. जुलाई के मध्य तक मैसाचुसेट्स के वायरस के सीक्वेंस में एक तिहाई और पूरे अमेरिका से लिए गए वायरस के जीनोम्स में से तीन फीसदी जीनोम में यह म्यूटेशन मिला है.
जिस दिन बायोजेन की मीटिंग शुरू होने वाली थी, उस दिन अमेरिका में कोविड-19 के कुल 15 केस सामने आए थे. ये सभी केस बाहर से यात्रा करके आए लोगों या फिर उनके करीबियों में मिले थे. उस वक्त Center for Disease Control and Prevention ने संभावित 'कम्युनिटी स्प्रेड' की बात स्वीकारी थी. उप-राष्ट्रपति माइक पेंस कोरोनावायरस टास्क फोर्स का नेतृत्व करने वाले थे और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि इस वायरस से अमेरिकियों को 'बहुत कम' खतरा है. आज अमेरिका में विश्व में सबसे ज्यादा कोरोनावायरस के केस हैं.
Video: विश्व के कई देशों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर
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