मुम्बई:
आईपीएस अधिकारी से वकील बने वाईपी सिंह ने महाराष्ट्र सरकार से उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए पुलिस पर सलमान के खिलाफ टक्कर मारकर भागने संबंधी उस मामले की सुनवाई विलंबित करने के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने के साथ ही कानून का उल्लंघन करने और आरोप लगाया जिसमें बॉलीवुड अभिनेता मुख्य आरोपी हैं।
सिंह ने सुनवाई बेहद धीमी गति से होने के लिए संबंधित जांचकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराने के साथ ही उनपर अधिकारों का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया और उनके खिलाफ जांच कराने की मांग की।
सिंह ने अपनी पत्नी आभा सिंह के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘कई लोगों को इस बात का लेकर आश्चर्य हो रहा है कि (हिट एंड रन) टक्कर मारकर भागने के उस मामले की सुनवाई जहां करीब दो वर्ष में पूरी हो गई जिसमें प्रवासी भारतीय नूरिया हवेलीवाला शामिल थी और अलिस्टायर परेरा वाले मामले में यह केवल एक वर्ष में ही पूरी हो गई लेकिन सलमान खान वाले मामले को 10 वर्ष बीत चुके हैं और सुनवाई निकट भविष्य में पूरी होने की संभावना नहीं दिखती।’
सिंह ने सलमान मामले में अदालती सुनवाई के दस्तावेज दिखाते हुए कहा, ‘सुनवाई के प्रारंभिक स्तर में बांद्रा के मजिस्ट्रेटी अदालत ने 39 गवाहों को सम्मन जारी किए लेकिन पुलिस ने 24 गवाहों को सम्मन की तामील नहीं कराई।
सिंह ने कहा कि कि उन्होंने 13 गवाहों को ही सम्मन की तामील कराई जिसमें से केवल एक ही व्यक्ति अदालत में पेश हुआ। उन्होंने कहा कि गवाहों को पेश करना पुलिस का कर्तव्य है लेकिन वह अपेक्षित गवाहों को पेश करने में असफल रही जबकि उनमें से अधिकतर परिचित थे और शहर में ही रहते थे।
सिंह ने सुनवाई बेहद धीमी गति से होने के लिए संबंधित जांचकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराने के साथ ही उनपर अधिकारों का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया और उनके खिलाफ जांच कराने की मांग की।
सिंह ने अपनी पत्नी आभा सिंह के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘कई लोगों को इस बात का लेकर आश्चर्य हो रहा है कि (हिट एंड रन) टक्कर मारकर भागने के उस मामले की सुनवाई जहां करीब दो वर्ष में पूरी हो गई जिसमें प्रवासी भारतीय नूरिया हवेलीवाला शामिल थी और अलिस्टायर परेरा वाले मामले में यह केवल एक वर्ष में ही पूरी हो गई लेकिन सलमान खान वाले मामले को 10 वर्ष बीत चुके हैं और सुनवाई निकट भविष्य में पूरी होने की संभावना नहीं दिखती।’
सिंह ने सलमान मामले में अदालती सुनवाई के दस्तावेज दिखाते हुए कहा, ‘सुनवाई के प्रारंभिक स्तर में बांद्रा के मजिस्ट्रेटी अदालत ने 39 गवाहों को सम्मन जारी किए लेकिन पुलिस ने 24 गवाहों को सम्मन की तामील नहीं कराई।
सिंह ने कहा कि कि उन्होंने 13 गवाहों को ही सम्मन की तामील कराई जिसमें से केवल एक ही व्यक्ति अदालत में पेश हुआ। उन्होंने कहा कि गवाहों को पेश करना पुलिस का कर्तव्य है लेकिन वह अपेक्षित गवाहों को पेश करने में असफल रही जबकि उनमें से अधिकतर परिचित थे और शहर में ही रहते थे।
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