नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार का घेराव किया है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala), पल्लम राजू (Pallam Raju) और राजीव गौड़ा (Rajeev Gaura) ने साझा बयान जारी किया है. बयान के अनुसार नई शिक्षा नीति से मानवीय विकास, ज्ञान प्राप्ति, क्रिटिकल थिंकिंग और जिज्ञासा की भावना दरकिनार हुई है. उन्होंने इसकी खामियां गिनाते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (NEP 2020), का उद्देश्य ‘स्कूल एवं उच्च शिक्षा' में परिवर्तनकारी सुधार लाना होना चाहिए था लेकिन वह केवल शब्दों, चमक-दमक, दिखावे और आडंबर के आवरण तक सीमित रही है. उनके अनुसार इस नीति में तर्कसंगत कार्ययोजना व रणनीति और स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य की कमी नजर आ रही है. अपने बयान में उन्होंने कहा कि यह अपने आप में बड़ा सवाल है कि शिक्षा नीति 2020 की घोषणा कोरोना महामारी के संकट के बीचों-बीच क्यों की गई और वो भी तब, जब सभी शैक्षणिक संस्थान बंद पड़े हैं.
नई शिक्षा नीति लागू कैसे होगी इसकी कोई रूपरेखा नहीं बताई गई : मनीष सिसोदिया
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 -
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 2, 2020
मानवीय विकास, ज्ञान प्राप्ति, क्रिटिकल थिंकिंग एवं जिज्ञासा की भावना हुई दरकिनार।
न परामर्श, न चर्चा, न विचार विमर्श और न पारदर्शिता!
हमारा बयान: pic.twitter.com/DBMxfCOclh
उन्होंने कहा कि सिवाय भाजपा-आरएसएस से जुड़े लोगों के, पूरे शैक्षणिक समुदाय ने इसका आगे बढ़कर विरोध जताया है. शिक्षा नीति 2020 बारे कोई व्यापक परामर्श, वार्ता या चर्चा हुई ही नहीं. बयान में कहा गया कि हमारे आज और कल की पीढ़ियों के भविष्य का निर्धारण करने वाली इस महत्वपूर्ण शिक्षा नीति को पारित करने से पहले मोदी सरकार ने संसदीय चर्चा या परामर्श की जरूरत भी नहीं समझी. उन्होंने शिक्षा के कानून के अधिकार को याद दिलाते हुए कहा कि जब कांग्रेस ‘शिक्षा का अधिकार कानून' लाई, तो संसद के अंदर व बाहर हर पहलू पर व्यापक चर्चा हुई थी.
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कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति में शिक्षा के अनुसारस जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने की सिफारिश की गई है जबकि इसके विपरीत मोदी सरकार में बजट के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर किया जाने वाला खर्च, 2014-15 में 4.14 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 3.2 प्रतिशत हो गया है. कांग्रेस के अनुसार यहां तक कि चालू वर्ष में कोरोना महामारी के चलते इस बजट की राशि में भी लगभग 40 प्रतिशत की कटौती होगी, जिससे शिक्षा पर होने वाला खर्च कुल बजट के 2 प्रतिशत (लगभग) के बराबर ही रह जाएगा. यानि शिक्षा नीति 2020 में किए गए वादों एवं उस वादे को पूरा किए जाने के बीच जमीन आसमान का अंतर है.
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कांग्रेस ने अपने बयान में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति 2020 का मुख्य केंद्र ‘ऑनलाइन शिक्षा' है. जबकि गरीब व मध्यम वर्ग परिवारों में कंप्यूटर और इंटरनेट न उपलब्ध होने के चलते गरीब और वंचित विद्यार्थी अलग थलग पड़ जाएंगे और देश में एक नया ‘डिजिटल डिवाईड' पैदा हो जाएगा. इसके अलावा भी उन्होंने अपने बयान में विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की ‘स्वायत्तता' को लेकर भी चिंता जताई है. कांग्रेस नई शिक्षा नीति को लेकर स्कूली और उच्च शिक्षा का भी विश्लेषण किया है.
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