कांग्रेस ने कथित तौर पर 'इतिहास को दुर्भावना से तोड़ मरोड़ कर पेश' करने के लिए आज आरएसएस और भाजपा की तीखी आलोचना की तथा आरएसएस के मुखपत्र में प्रकाशित एक आलेख पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान की मांग की। उस आलेख में कहा गया है कि नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी के बदले जवाहरलाल नेहरु को निशाना बनाना चाहिए था।
यह आलेख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र 'केसरी' के मलयालम संस्करण में प्रकाशित हुआ है। कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने इस लेख को 'बर्बर तथा गैरकानूनी' करार देते हुए कहा कि मोदी और भाजपा को इस संबंध में तत्काल अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
माकन ने कहा, 'उनकी ओर से चुप्पी उनकी संलिप्तता की ओर ही इशारा करेगी। भाजपा नेता की दलील कि गोडसे को महात्मा गांधी के बदले नेहरू की हत्या करनी चाहिए थी, पुष्टि करती है कि उनकी विचारधारा के मूल सिद्धांत घृणा और हिंसा हैं।'
माकन ने कहा, 'आरएसएस और भाजपा के दिवालिया मस्तिष्क के अंधेरे कोने के अलावा कहीं और इस प्रकार का विकृत प्रवचन पाना कठिन है।'
आलेख के लेखक बी. गोपालकृष्णन हालिया लोकसभा चुनावों में केरल में भाजपा के उम्मीदवार भी थे। उन्होंने यह दावा भी किया है कि नेहरू का कभी भी राष्ट्रपिता के प्रति वास्तविक लगाव नहीं था।
वहीं आरएसएस ने इस लेख से अपने को अलग करने का प्रयास किया और कहा कि वह लेखक द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का समर्थन नहीं करता।
संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने यहां जारी बयान में कहा, 'संघ केसरी मलयालम के 17 अक्तूबर के अंक में प्रकाशित विवादास्पद लेख की निंदा करता है। उस लेख के विचार पूरी तरह से उसके लेखक के हैं और संघ का उससे कुछ लेना देना नहीं है।'
उन्होंने कहा कि एक आंदोलन के तौर पर संघ ने हमेशा हिंसा के विचार और कार्रवाई की निंदा की है। इसलिए वह हाल के लोकसभा चुनाव में केरल में चालाकुड़ी सीट से भाजपा के उम्मीदवार रहे बी. गोपालकृष्णन के संघ के मुखपत्र मानी जानी वाली पत्रिका 'केसरी' के ताजा अंक में छपे उस लेख से सहमत नहीं हैं जिसमें ऐसे विचार व्यक्त किए गए हैं।
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