कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की सोमवार को होने वाली बैठक से पूर्व पार्टी के अंदर विभिन्न स्वर उभरने लगे हैं. जहां वर्तमान सांसदों और पूर्व मंत्रियों के एक वर्ग ने सामूहिक नेतृत्व की मांग की है, वहीं एक दूसरे वर्ग ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की पार्टी अध्यक्ष के रूप में वापसी की पुरजोर वकालत की है. कुछ पूर्व मंत्रियों समेत दो दर्जन कांग्रेस नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से संगठन में बड़े बदलाव की मांग करते हुए उन्हें पत्र लिखा है, वहीं, राहुल के करीबी कुछ नेताओं ने सीडब्ल्यूसी को पार्टी प्रमुख के रूप में उनकी वापसी के लिए पत्र लिखा है.
20-वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के पत्र में हर स्तर पर आंतरिक चुनावों के आधार पर पार्टी नेतृत्व में व्यापक परिवर्तन की मांग की गई है. इसमें गांधी परिवार की आलोचना नहीं है. एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "हमने सोनिया गांधी या राहुल गांधी की आलोचना नहीं की है, लेकिन हम कांग्रेस पार्टी और इसके प्रबंधन में व्यापक परिवर्तन चाहते हैं.'
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हाल के हफ्तों में नेताओं के एक वर्ग द्वारा पार्टी में सुधारों की मांग की जाती रही है और कई चीजों को लेकर आलोचना की गई है. इन नेताओं में आनंद शर्मा, वीरप्पा मोइली, कपिल सिब्बल और शशि थरूर जैसे नेता शामिल रहे हैं, साथ ही जितिन प्रसाद और मिलिंद देवड़ा जैसे युवा नेता भी हैं.
नाम न बताने की शर्त पर चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले एक नेता ने NDTV से कहा, 'किसी को तो बिल्ली के गले में घंटी बांधनी ही थी.'
चिट्ठी पर 7 अगस्त की तारीख है और यह राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच हुए समझौते से ठीक पहले लिखी गई थी.
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पार्टी के 20 से ज्यादा नेताओं ने चिट्ठी लिखकर पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की है. चिट्ठी लिखने वालों में आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, विवेक तनखा, पृथ्वीराज च्वहाण, वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, भूपेंद्र हुड्डा, राज बब्बर, मनीष तिवारी, मुकुल वासनिक समेत कई पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल हैं. चिट्ठी में सामूहिक नेतृत्व की सलाह भी दी गई है जिसका गांधी परिवार महत्वपूर्ण हिस्सा होगा.
सूत्रों ने कहा कि पत्र में, आत्मनिरीक्षण और चर्चा की कमी को पार्टी के खराब प्रदर्शन का कारण बताया गया है.
पार्टी के भीतर अशांति तब दिखाई देने लगी जब राहुल गांधी ने विभिन्न मुद्दों पर अपने बयानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधना शुरू कर दिया, चाहे वो कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई का सरकार का तरीका हो या चीनी घुसपैठ का मुद्दा.
कुछ नेताओं को लगता है कि राहुल गांधी ही पार्टी को नियंत्रित कर रहे हैं और तमाम तरह के फैसले ले रहे हैं, लेकिन वो न तो किसी तरह की जिम्मेदारी ले रहे हैं और न जवाबदेह हैं.
वो कहते हैं, 'अपने इस्तीफे और हाथ पर हाथ धरे रहने के रवैये के बावजूद वह पार्टी के मामलों को नियंत्रित करते हैं, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वो पार्टी का नेतृत्व करना चाहते हैं या नहीं. अगर नहीं तो एक सामूहिक नेतृत्व को कमान संभाल लेनी चाहिए और पार्टी के आंतरिक कार्यकलापों में व्यापक परिवर्तन करना चाहिए.'
ये नेता यह भी कहते हैं कि उनकी चिट्ठी विद्रोह नहीं है जैसा कि शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने 1999 में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में किया था जिसके बाद उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया था. वो कहते हैं, 'यह अपने अस्तबल को साफ करने और वास्तव में कांग्रेस को बीजेपी के विकल्प के रूप में प्रासंगिक बनाने का प्रयास है.'
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