भूमि अधिग्रहण बिल में बदलाव के ख़िलाफ कांग्रेस जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रही है। इसमें कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन इसमें राहुल गांधी नहीं हैं। पहले इसका नेतृत्व राहुल गांधी ही करने वाले थे। कांग्रेस इसका आधिकारिक ऐलान कर चुकी थी। लेकिन राहुल गांधी के अचानक छुट्टी पर चले जाने से पार्टी को अपने दूसरे नेताओं को यहां उतारना पड़ रहा है।
आज कांग्रेस के जो नेता इस आंदोलन में हिस्सा लेंगे, उसमें सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, अजय माकन, सलमान खुर्शीद, मधुसूदन मिस्त्री, जितेन्द्र सिंह, राज बब्बर, दीपेन्द्र हुड्डा और सुष्मिता देव शामिल हैं।
कांग्रेस की कोशिश ये दिखाने की है कि उसके पास नेताओं की इतनी लंबी फौज है कि उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में भी वो भूमि अधिग्रहण कानून के मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने की ताक़त रखती है।
कांग्रेस का यह आंदोलन जंतर-मंतर पर हो रहा है। यहां अन्ना हजारे पिछले तीन दिनों से धरने पर बैठे हैं। पहले कांग्रेस अन्ना हजारे के धरने को अपना समर्थन देने का मन बना रही थी, लेकिन बाद में कांग्रेस को लगा कि कहीं उसका मुद्दा उसके ही हाथ से न छूट जाए। कांग्रेस का कहना है कि 2013 में जिस भूमि अधिग्रहण कानून को यूपीए सरकार ने पास किया था, उसे बीजेपी की भी मंज़ूरी थी। अब कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने इसमें अध्यादेश के ज़रिए बदलाव लाने की कोशिश की है, लेकिन कांग्रेस इसे कामयाब नहीं होने देगी।
कांग्रेस नहीं मानती कि अन्ना हजारे इस मुद्दे पर आंदोलन का चेहरा बन गए हैं। पार्टी का कहना है कि सरकार की तरफ से अध्यादेश लाए जाने के साथ ही कांग्रेस ने देश और प्रदेश स्तर पर इसका विरोध शुरु कर दिया था और इसे वापस लेने तक जारी रहेगा। किसानों के हित से जुड़ा ये कांग्रेस का मुद्दा है और अन्ना हजारे समेत कोई भी व्यक्ति या संगठन अगर इस मुद्दे को उठाता है तो पार्टी उसका समर्थन करती है। पार्टी चाहे जितनी भी दलील दे लेकिन राहुल की अनुपस्थिति कांग्रेस की इस रैली को शायद वो ताक़त न दे, जिसे सोच कर कांग्रेस ने इसकी योजना बनाई थी।
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