लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह तय हो गया कि अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच किसी तरह का गठबंधन नहीं होगा. मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की एक घंटा चली बैठक के बाद दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने साफ कह दिया कि आम आदमी पार्टी से कोई गठबंधन नहीं होगा और राहुल गांधी ने भी इसको स्वीकार कर लिया है. आम आदमी पार्टी गठबंधन के लिए लालायित थी. खुद आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप से यहां तक कह दिया था कि हम कांग्रेस को मना मना कर थक गए हैं लेकिन कांग्रेस गठबंधन के लिए नहीं मान रही. जबकि कांग्रेस भी यह मानती है कि दिल्ली में वह अकेले बीजेपी को नहीं हरा सकती और आम आदमी पार्टी कांग्रेस के अलग-अलग लड़ने से वोट बंटेंगे जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा. इसके बावजूद अगर कांग्रेस ने गठबंधन के लिए मना कर दिया है तो इसके पांच संभावित कारण माने जा रहे हैं.
1. जब जब गठबंधन किया, पार्टी पिछलग्गू बनी
दिल्ली कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि कांग्रेस ने जब जब किसी राज्य में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन किया तब तब पार्टी वहां और नीचे चली गई और हालत यह हुई कि जहां पर कांग्रेस पार्टी एकछत्र राज किया करती थी वहां पार्टी केवल एक पिछलग्गू पार्टी बनकर रह गई. जैसे कि उत्तर प्रदेश और बिहार. इसलिए दिल्ली कांग्रेस के नेता शुरू से आम आदमी पार्टी से गठबंधन के खिलाफ रहे.
2. कांग्रेस की हालत के जिम्मेदार आम आदमी पार्टी
दिल्ली में कांग्रेस का 15 साल तक शासन रहा, लेकिन आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त माहौल बना कर उसको सत्ता से ऐसे उखाड़ कर फेंका कि आज दिल्ली में कांग्रेस विधानसभा में भी शून्य है और लोकसभा में भी. यानी दिल्ली में कांग्रेस की असली दुश्मन बीजेपी नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी है क्योंकि आम आदमी पार्टी ने ही कांग्रेस की यह हालत की है.
3. बीती बातें नहीं भूली कांग्रेस
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने खासतौर से आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए जिससे उनकी छवि जनता में बिगड़ी. यही नहीं 2012 में अरविंद केजरीवाल ने प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे जिससे गांधी परिवार और कांग्रेस की छवि को बड़ा धक्का लगा था. शायद ये बात कांग्रेस अभी भूली नहीं वरना अपने सबसे बुरे दौर मे गठबंधन कोई बड़ी बात नहीं थी.
4. लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव भी हैं
बीते 4 साल से दिल्ली में कांग्रेस आम आदमी पार्टी के काम करने के तरीके और शासन की आलोचना कर रही है. अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार का आखरी साल चल रहा है। अगले साल फरवरी महीने में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर कांग्रेस आम आदमी पार्टी से अब गठबंधन कर लेगी तो फिर विधानसभा चुनाव किस मुद्दे पर लड़ेगी? अगर विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन की बात होने लगी तो कांग्रेस को 30-35 सीट ही लड़ने को मिलेंगी जिससे वो कभी अपने दम पर वापसी नहीं कर पायेगी।
5. AAP को लोकसभा में कांग्रेस की जरूरत विधानसभा में नहीं:
आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन को बेताब इसलिए भी है क्योंकि लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री बनाने के लिए है. इसलिए आम आदमी पार्टी को लग रहा है कि शायद जनता इस बार उसके पक्ष में ना जाए क्योंकि किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री आम आदमी पार्टी का तो हो नहीं सकता. इसलिए वह कांग्रेस से गठबंधन करना चाहती है क्योंकि दिल्ली के हिसाब से प्रधानमंत्री या तो बीजेपी से बनेंगे या कांग्रेस से. ऐसे में आम आदमी पार्टी कांग्रेस के सहारे इस लोकसभा चुनाव के लिए अपने आप को राष्ट्रीय परिपेक्ष में बनाए रखना चाहती है. जबकि आम आदमी पार्टी मानती है कि जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव होंगे तो उसके पास अरविंद केजरीवाल जैसा सीएम उम्मीदवार होगा जिसके 5 साल के काम और नाम पर जनता उसे दोबारा चुने की इसलिए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की जरूरत उतनी नहीं होगी जितनी लोकसभा चुनाव में है. लेकिन अगर आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में अच्छा नहीं कर पाई तो उसके बारे में यह धारणा बनेगी कि दिल्ली के लोगों के मन से अब आम आदमी पार्टी उतर रही है और इसका खामियाजा उसको विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. यह बात कांग्रेस समझती है इसलिए उसने गठबंधन के लिए साफ इंकार कर दिया.
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