ड्रग्स केस : चैट लीक को लेकर उठे सवालों के बीच WhatsApp ने दी सफाई

सुशांत सिंह केस की जांच के दौरान लगातार सामने आ रहे वाट्सएप चैट के बाद वाट्सएप के  एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पर सवाल खड़े होने लगे थे. 

ड्रग्स केस : चैट लीक को लेकर उठे सवालों के बीच WhatsApp ने दी सफाई

व्हाट्सएप ने कहा कि उसके संदेश सुरक्षित हैं और कोई भी तीसरा पक्ष उन्हें एक्सेस नहीं कर सकता है

नई दिल्ली:

सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) केस की जांच के दौरान लगातार सामने आ रहे व्हॉट्सएप (WhatsApp) चैट के बाद कंपनी के एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पर सवाल खड़े हो रहे हैं. लोगों का कहना है कि कैसे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (Narcotics Control Bureau) ने बॉलीवुड ड्रग एंगल की जांच के दौरान पुराने संदेशों को एक्सेस करने में कामयाबी हासिल की है? इन सवालों के बीच अब व्हॉट्सएप की तरफ से सफाई सामने आयी है.  सोशल नेटवर्क प्लेटफॉर्म  व्हॉट्सएप (Social network platform WhatsApp)  ने गुरुवार को कहा कि उसके संदेश सुरक्षित हैं और कोई भी तीसरा पक्ष उन्हें एक्सेस नहीं कर सकता है यानी किसी भी थर्ड पार्टी की पहुंच मैसेज तक नहीं है.

व्हॉट्सएप के प्रवक्ता ने कहा, " व्हॉट्सएप आपके संदेशों को एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ सुरक्षित रखता है. ताकि केवल आप और जिस व्यक्ति से आप बातचीत कर रहे हैं... वही ये पढ़ सके कि क्या भेजा गया है. बीच में कोई भी इन संदेशों को नहीं पढ़ सकता है, यहां तक ​​कि व्हॉट्सएप भी नहीं. उन्होंने कहा कि यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि लोग केवल एक फोन नंबर का उपयोग करके व्हॉट्सएप पर साइन अप करते हैं, और व्हॉट्सएप की आपके मैसेज तक पहुंच नहीं है.

कंपनी की तरफ से कहा गया है कि ऑन-डिवाइस स्टोरेज के लिए व्हॉट्सएप ऑपरेटिंग सिस्टम निर्माताओं द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुसरण करता है और हम लोगों को ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा दिए गए सभी सुरक्षा उपायों जैसे पासवर्ड या बायोमैट्रिक आईडी का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि कोई थर्ड पार्टी आपके डिवाइस में स्टोर कंटेट तक नहीं पहुंच सके. 

कई लोगों का मानना ​​है कि 2005 के बाद से मोबाइल फोन क्लोनिंग तकनीक का उपयोग करके संदेशों को एक्सेस किया जा रहा है. एक क्लोन फोन व्हॉट्सएप बैक-अप चैट को एक्सेस कर सकता है, जो एन्क्रिप्टेड नहीं हैं, जहां भी वे संग्रहीत हैं जैसे गुगल ड्राइव या iCloud में.

क्लोनिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से टार्गेट फोन की सेल्युलर पहचान और डेटा को एक नए फोन में कॉपी किया जाता है. वर्तमान में यह एक ऐप के माध्यम से किया जा सकता है, यहां तक ​​कि तब भी जब आपके पास टारगेट फोन नहीं हो. यह प्रक्रिया अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल स्टेशन उपकरण पहचान (IMEI) संख्या को स्थानांतरित करने में भी सक्षम बनाती है. 

हालांकि यह व्यक्तियों के लिए गैरकानूनी है. अधिकारियों को फोन पर संग्रहीत डेटा तक वैध तरीके से पहुंचने के लिए एक फोरेंसिक विधि के माध्यम से जाना होता है.बताते चले कि सुशांत सिंह केस में ड्रग्स एंगल की जांच कर रहे एनसीबी की तरफ से व्हॉट्सएप चैट के आधार पर कई लोगों को समन भेजा गया है. जिसके बाद से देश भर में इस बात को लेकर सवाल खड़े होने लगे थे कि क्या व्हॉट्सएप चैट सुरक्षित नहीं हैं?

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