नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की इस मांग पर सवाल उठाया है कि उसे कोयला आवंटन के मामले में सरकार से अपनी जांच के ब्योरे साझा करने दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने बधवार को सीबीआई के हलफनामे पर विचार करते हुए कि सीबीआई की निगरानी का काम केंद्रीय सतर्कता आयोग का है, इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस पूरे घोटाले से जुड़े तमाम अहम दस्तावेज अभी तक सीबीआई को नहीं सौंपे गए हैं। सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि आखिर ऐसा क्यों है कि कोयला आवंटन से जुड़ी समिति की बैठकों से जुड़े दस्तावेज अभी तक सीबीआई को सौंपे नहीं गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई कैसे कह सकती है कि उसे मुकदमा चलाने के लिए सरकार की इजाज़त चाहिए।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सीबीआई की स्वायत्तता और राजनैतिक दखलनदाजी के लिए कानून में संशोधन की जरूरत है और संसद को अंतत: इस मामले में बहस कर केंद्र के सुझाओं को लागू करना है।
कोर्ट ने आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा दायर उस हलफनामे पर सुनवाई की जिसमें सीबीआई की स्वायत्तता के लिए सरकार को कदम उठाने के लिए कहा गया था।
कोर्ट ने 44 पन्नों के हलफनामे पर सुनवाई करते हुए सवाल किया सीबीआई को अपने मुकदमों के लिए वकील चुनने की इजाजत क्यों नहीं दी गई है। कोर्ट ने कहा कि आज के इस केस में भी एक सरकारी अधिकारी सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहा है।
गौरतलब है कि इस वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की तरह है जो अपने मालिक के अनुसार बोलता है। उस समय कोर्ट इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई थी कि सीबीआई ने कोयला घोटाले की जांच संबंधी रिपोर्ट सरकार से साझा की थी।
कोयला घोटाले की जांच की निगरानी स्वयं सुप्रीम कोर्ट कर रही है। इस घोटाले में अंगुली सीधा पीएम मनमोहन सिंह की तरफ भी उठ रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने बधवार को सीबीआई के हलफनामे पर विचार करते हुए कि सीबीआई की निगरानी का काम केंद्रीय सतर्कता आयोग का है, इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस पूरे घोटाले से जुड़े तमाम अहम दस्तावेज अभी तक सीबीआई को नहीं सौंपे गए हैं। सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि आखिर ऐसा क्यों है कि कोयला आवंटन से जुड़ी समिति की बैठकों से जुड़े दस्तावेज अभी तक सीबीआई को सौंपे नहीं गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई कैसे कह सकती है कि उसे मुकदमा चलाने के लिए सरकार की इजाज़त चाहिए।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सीबीआई की स्वायत्तता और राजनैतिक दखलनदाजी के लिए कानून में संशोधन की जरूरत है और संसद को अंतत: इस मामले में बहस कर केंद्र के सुझाओं को लागू करना है।
कोर्ट ने आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा दायर उस हलफनामे पर सुनवाई की जिसमें सीबीआई की स्वायत्तता के लिए सरकार को कदम उठाने के लिए कहा गया था।
कोर्ट ने 44 पन्नों के हलफनामे पर सुनवाई करते हुए सवाल किया सीबीआई को अपने मुकदमों के लिए वकील चुनने की इजाजत क्यों नहीं दी गई है। कोर्ट ने कहा कि आज के इस केस में भी एक सरकारी अधिकारी सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहा है।
गौरतलब है कि इस वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था कि सीबीआई पिंजरे में बंद तोते की तरह है जो अपने मालिक के अनुसार बोलता है। उस समय कोर्ट इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई थी कि सीबीआई ने कोयला घोटाले की जांच संबंधी रिपोर्ट सरकार से साझा की थी।
कोयला घोटाले की जांच की निगरानी स्वयं सुप्रीम कोर्ट कर रही है। इस घोटाले में अंगुली सीधा पीएम मनमोहन सिंह की तरफ भी उठ रही है।
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