
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग पर अड़ी बीजेपी ने कहा है कि सरकार को संसद में जारी गतिरोध दूर करने की एनडीए की पेशकश पर अभी जवाब देना है। एनडीए ने पेशकश की है कि अगर सरकार कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करे और मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे, तो गतिरोध दूर हो सकता है।
यह संकेत बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग पोस्ट पर दिए, जो रविवार सुबह लिखा गया है। इससे पहले, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट में कहा कि अगर सरकार कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दे और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच का आदेश दे, तो संसद में बहस शुरू की जा सकती है।
आडवाणी ने ब्लॉग में कहा है, संसद का गतिरोध दूर करने के लिए एनडीए ने प्रस्ताव दिया है कि सभी आवंटन रद्द कर दिए जाएं और उस प्रक्रिया की न्यायिक जांच की जाए, जिसके तहत चयन समिति ने इन आवंटनों का फैसला किया। सरकार अब तक इसके लिए तैयार नहीं हुई है। बीजेपी के प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े रहने के कारण दो सप्ताह से संसद में कामकाज नहीं हो हो पाया है।
बीती रात डाले गए सुषमा स्वराज के ट्वीट की तरह ही आडवाणी के ब्लॉग में भी सिंह के इस्तीफे की बीजेपी की मांग का जिक्र नहीं है। आडवाणी कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे पर प्रधानमंत्री पर हमला जारी रखे हुए हैं। उन्होंने ब्लॉग में कहा है कि इस मामले में प्रधानमंत्री की ओर से संसद में दी गई सफाई बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।
इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का बचाव करते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि उनके पार्टी के सहयोगी ने प्रतिस्पर्धात्मक बोली के परिणाम स्वरूप राज्य द्वारा अर्जित राजस्व में हिस्से की मांग कर बिल्कुल सही किया और इसे कोयला ब्लॉकों के आवंटन के विरोध के तौर पर नहीं देखा जा सकता।
आडवाणी ने कहा कि यह बात अब जगजाहिर हो चुकी है कि स्पेक्ट्रम, तेल, गैस और खनिजों जैसे बहुमूल्य संसाधनों के भेदभावपूर्ण तरीके से आवंटन के कारण लोगों को अपने भ्रष्ट और गलत इरादे पूरे करने का मौका मिल गया।
उन्होंने कहा, 2जी स्पेक्ट्रम मामला इसे साबित करने का हालिया उदाहरण है। 2008 में अखिल भारतीय लाइसेंस के लिए 1,658 करोड़ रुपये तय किए गएस जो तब का बाजार भाव नहीं था। लेकिन 2012 में प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों में सरकार ने खुद ही 2जी की नीलामी के लिए आधार मूल्य 14000 करोड़ रुपये तय कर दिया।
यह संकेत बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग पोस्ट पर दिए, जो रविवार सुबह लिखा गया है। इससे पहले, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट में कहा कि अगर सरकार कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दे और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच का आदेश दे, तो संसद में बहस शुरू की जा सकती है।
आडवाणी ने ब्लॉग में कहा है, संसद का गतिरोध दूर करने के लिए एनडीए ने प्रस्ताव दिया है कि सभी आवंटन रद्द कर दिए जाएं और उस प्रक्रिया की न्यायिक जांच की जाए, जिसके तहत चयन समिति ने इन आवंटनों का फैसला किया। सरकार अब तक इसके लिए तैयार नहीं हुई है। बीजेपी के प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़े रहने के कारण दो सप्ताह से संसद में कामकाज नहीं हो हो पाया है।
बीती रात डाले गए सुषमा स्वराज के ट्वीट की तरह ही आडवाणी के ब्लॉग में भी सिंह के इस्तीफे की बीजेपी की मांग का जिक्र नहीं है। आडवाणी कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे पर प्रधानमंत्री पर हमला जारी रखे हुए हैं। उन्होंने ब्लॉग में कहा है कि इस मामले में प्रधानमंत्री की ओर से संसद में दी गई सफाई बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।
इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह का बचाव करते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि उनके पार्टी के सहयोगी ने प्रतिस्पर्धात्मक बोली के परिणाम स्वरूप राज्य द्वारा अर्जित राजस्व में हिस्से की मांग कर बिल्कुल सही किया और इसे कोयला ब्लॉकों के आवंटन के विरोध के तौर पर नहीं देखा जा सकता।
आडवाणी ने कहा कि यह बात अब जगजाहिर हो चुकी है कि स्पेक्ट्रम, तेल, गैस और खनिजों जैसे बहुमूल्य संसाधनों के भेदभावपूर्ण तरीके से आवंटन के कारण लोगों को अपने भ्रष्ट और गलत इरादे पूरे करने का मौका मिल गया।
उन्होंने कहा, 2जी स्पेक्ट्रम मामला इसे साबित करने का हालिया उदाहरण है। 2008 में अखिल भारतीय लाइसेंस के लिए 1,658 करोड़ रुपये तय किए गएस जो तब का बाजार भाव नहीं था। लेकिन 2012 में प्रतिकूल बाजार परिस्थितियों में सरकार ने खुद ही 2जी की नीलामी के लिए आधार मूल्य 14000 करोड़ रुपये तय कर दिया।
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