पीडीपी की अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के पास भी अब समान अधिकार होने का केंद्र का दावा ‘‘सफेद झूठ'' है. घाटी में लोगों की प्रतिक्रिया के डर से हर बार सरकार जिस आसानी से ‘पूरी तरह बंदी' लागू कर देती है, वह बेहद तकलीफदेह और निहायत ही संवेदनाहीन है. महबूबा ने यह टिप्पणी तब की जब अधिकारियों ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मृत्यु के फौरन बाद बुधवार रात को बीएसएनएल की पोस्टपेड सेवाओं को छोड़कर बाकी मोबाइल टेलीफोन सेवाएं तथा बीएसएनएल ब्रॉडबैंड को छोड़कर शेष इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं.
महबूबा ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘भारत सरकार का यह संदिग्ध दावा सफेद झूठ है कि जम्मू कश्मीर के लोग भी अब समान अधिकार रखते हैं. सच यह है कि उनके जीवित या मृत होने संबंधी बुनियादी मानवाधिकारों को भी निलंबित कर दिया गया है.''
GOI's dubious claims that people of J&K now enjoy equal rights is a barefaced lie as truth is that even their basic human rights dead or alive are suspended with pervasive impunity. https://t.co/xNUmaqAruo
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 4, 2021
पूर्ववर्ती राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार घाटी में लोगों की प्रतिक्रिया के डर से हर बार जिस आसानी से कश्मीर में संचार नेटवर्क को ठप करने समेत ‘पूरी तरह बंदी' लागू कर देती है, वह बेहद तकलीफदेह और निहायत ही संवेदनाहीन है.
महबूबा ने कहा, ‘‘संवेदनाओं को समाप्त करने के लिए डर का माहौल बनाने का उनका दुस्साहस नुकसानदेह है क्योंकि भावनाएं हवा में समाप्त नहीं हो जातीं. धोखाधड़ी और गुस्से की ये भावनाएं अंदर पैठ कर लेती हैं और एक पीढ़ी से दूसरी में चली जाती हैं.''
पीडीपी अध्यक्ष ने दावा किया कि सभी तक पहुंच बनाने के बजाय एक के बाद एक हर नीति जम्मू कश्मीर को सामूहिक सजा देने के लिए बनाई जाती है.
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