सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा आज रिटायर हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में जज न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा का आज आखिरी दिवस है. पंरपरा के मुताबिक आज वो चीफ जस्टिस एस ए बोबडे के साथ बेंच में शामिल हुए. इस दौरान सीजेआई बोबडे ने जस्टिस अरुण मिश्रा की तारीफ की. सहकर्मी के रूप में जस्टिस अरुण मिश्रा के साथ काम करना सौभाग्य की बात है. यह एक अजीब बात है कि यह पहली बार है जब मैं उनके साथ कोर्ट में बैठा हूं और यह आखिरी बार हो रहा है. वो अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में साहस और धैर्य के प्रतीक रहे हैं.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "यहां तक कि व्यक्तिगत मोर्चे पर भी मुझे उन बड़ी मुश्किलों की जानकारी है, जिनका उन्होंने सामना किया है और इसके बावजूद अपने कर्तव्यों को पूरा किया है. मैं बहुत लोगों को नहीं जानता, जिन्होंने इतनी कठिनाइयों के बावजूद बहादुरी से काम किया है. सीजेआई बोबडे ने कहा कि जस्टिस मिश्रा साहस और मेहतन की विरासत को पीछे छोड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जस्टिस मिश्रा प्रकाश के पुंज, साहस के पुंज, सभी प्रतिकूलताओं का सामना करने के लिए धैर्य के पुंज हैं, जिनका उन्होंने कर्तव्य निर्वहन में बहादुरी से सामना किया. मैं चाहता हूं कि जस्टिस मिश्रा आगे बहुत खुशहाल और समृद्ध जीवन व्यतीत करें और मुझे उम्मीद है कि आप हमारे साथ संपर्क में रहेंगे और हम निश्चित रूप से ऐसा करने का प्रयास करेंगे.
अटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के लिए एक छोटा विदाई संदेश दिया. इस दौरान रिटायरमेंट से पहले अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का "आयरन जज" बताया. उन्होंने कहा कि जस्टिस अरुण मिश्रा "दृढ़ और अटल रहे." वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सराहना की होती अगर न्यायमूर्ति मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने प्रशांत भूषण को अवमानना के लिए दंडित नहीं किया होता. लेकिन उनके फैसले ने अवमानना सिद्धांत को विस्तार से रखा है और लंबे समय तक इस पर बहस होगी.
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