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This Article is From Oct 29, 2015

चुमार क्षेत्र में बना गतिरोध चीनी सेना का ‘नापाक इरादा’ था : ITBP के पूर्व प्रमुख

चुमार क्षेत्र में बना गतिरोध चीनी सेना का ‘नापाक इरादा’ था : ITBP के पूर्व प्रमुख
फाइल फोटो
नई दिल्‍ली: आईटीबीपी के एक पूर्व प्रमुख ने पहली बार सार्वजनिक रूप से कहा कि पिछले साल लद्दाख डिवीजन के चुमार इलाके में भारतीय सेना के साथ महीने भर चला गतिरोध चीनी सेना का ‘नापाक इरादा’ था जिसमें दोनों पक्ष ‘गंभीर’ रूप से आमने सामने आ गए थे।

उस समय बल का नेतृत्व कर रहे सुभाष गोस्वामी ने चुमार में स्थिति के बारे में लिखा है। उन्होंने गतिरोध के कारणों को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की साजिश का हिस्सा करार दिया। उन्होंने जम्मू कश्मीर में लेह शहर से 210 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित चुमार में पीएलए के साथ आमने सामने की स्थिति का जिक्र किया है।

वह गतिरोध इस पहाड़ी सीमा पर सबसे लंबे संघर्षों में से एक था जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संबंध में दोनों पक्षों की अपनी धारणा के कारण आईटीबीपी-सेना और पीएलए के बीच कई घटनाएं हुई हैं।

भारत तिब्बत सीमा पुलिस के पूर्व महानिदेशक ने ‘बल का अपना आकलन साबित’ करने के लिए एक लघु संस्मरण लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि घटना उनके मस्तिष्क में बनी रहेगी।

गोस्वामी नवंबर 2013 से दिसंबर 2014 के बीच आईटीबीपी के प्रमुख थे जो भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा करता है। गोस्वामी ने कहा कि लद्दाख के चुमार में चीनी सेना के साथ आमने-सामने का गतिरोध था। यह सूचना मिली थी कि पीएलए हमारे क्षेत्र में एक सड़क बनाने की तैयारी कर रही है। इसके बाद आईटीबीपी भारतीय सेना के साथ वहां पहुंचा और चीनी सेना को उसके ‘नापाक इरादे’ को अंजाम देने से भौतिक रूप से रोका। उन्होंने यह संस्मरण बल की 54वीं वषर्गांठ पर लिखा है। बल की यह वषर्गांठ इसी महीने मनायी गयी। इसमें उन्होंने लिखा कि मजबूत विरोध के कारण दोनों बलों के बीच गंभीर गतिरोध की स्थिति पैदा हो गयी थी।

उन्होंने कहा कि पीएलए ने पीछे से अपने बलों को पास के स्थानों पर हेलीकॉप्टरों से पहुंचाकर गतिरोध के क्षेत्र का विस्तार कर दिया।

‘भारतीय सेना ने भी अपने बलों को एकत्र किया और लद्दाख सेक्टर में अलग-अलग चार-पांच स्थानों पर गतिरोध एक साथ करीब एक महीने तक बना रहा।’ गोस्वामी ने ‘ए लाइफ चेंजिग एक्सपीरियंस’ शीषर्क से अपने आलेख में कहा, ‘आईटीबीपी ने संघर्ष के दौरान अपने पशु परिवहन का प्रभावी इस्तेमाल किया। चीनी पक्ष एक इंच सड़क नहीं बना सका और अंतत: उन्हें अपने बैरक में वापस लौटना पड़ा।’

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