चीन ने उत्तरी सीमा के करीब युद्धाभ्यास किया.
नई दिल्ली:
जून की 16 तारीख को चीन ने सीमा बदलाव का प्रयास किया. भूटान ने विरोध किया और फिर भारत को इसमें दखल देना पड़ा. भारत के इस दखल से चीन नाराज हो गया और अपनी सेना की धमक से भारत को डराने का प्रयास करता चला आ रहा है. चीनी मीडिया भी इस मामले में आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं. ग्लोबल टाइम्स के नए संपादकीय में भारत के लिए एक बार फिर कई कड़े संदेश हैं. चीन के इस मीडिया संस्थान ने भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर चल रहे गतिरोध पर साफ कहा है कि भारत किसी प्रकार के संशय में न रहे. ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि भारत को अपनी सेना हटानी ही होगी और तभी कोई बातचीत संभव है. अमेरिका भी इस मामले में भारत के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है.
चीन की ओर से यह ताजा बयान आया है और इसमें चीन ने भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पर भी निशाना साधा है. चीन ने डोभाल को इस पूरे गतिरोध के लिए जिम्मेदार बताया है. चीन ने डोकलाम में जारी गतिरोध पर कहा है कि भारतीय मीडिया यह उम्मीद लगाए बैठा है और यह माहौल बना रहा है कि जब अजित डोभाल ब्रिक्स देशों के एनएसए की बैठक में शामिल होने बीजिंग आएंगे तब इस गतिरोध का हल निकल जाएगा. ग्लोबल टाइम्स ने साफ कहा कि ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा है. इनका कहना है कि इस सम्मेलन में चीन और भारत के आपसी मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी.
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अजित डोभाल की यात्रा से कुछ हाथ नहीं लगेगा : चीन ने साफ कर दिया है कि अजित डोभाल की यात्रा से कुछ हाथ नहीं लगेगा. चीन डोकलाम पर बिल्कुल कोई बात नहीं करेगा. डोकलाम पर कोई भी बातचीत के लिए पहली शर्त है कि भारत चीन की धरती से अपने सैनिक वापस बुलाए. यहां पर चीन ने एक बार फिर डोकलाम पर अपना दावा ठोका है और कहा है कि यह उसका इलाका है.
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भारतीय सेना की बिना शर्त वापसी ही चीन की वार्ता की अंतिम शर्त : चीन ने कहा कि भारत को किसी प्रकार के भ्रम में नहीं रहना चाहिए और इसलिए डोभाल की यात्रा को किसी भी प्रकार से डोकलाम विवाद के हल के रूप में न देखा जाए. उन्होंने यह भी कहा कि डोभाल को भी इस यात्रा के दौरान इस मुद्दे को नहीं उठाना चाहिए वरना उनके हाथ निराशा ही लगेगी. चीन ने साफ कहा कि भारतीय सेना की बिना शर्त वापसी ही चीन की वार्ता की अंतिम शर्त है. दोनों देशों के एनएसए इससे पहले पिछले साल नंवबर में मिले थे. सीमा विवाद को लेकर यह 19वीं बातचीत थी. तब यह तय हुआ था कि दोनों देशों के सीमा विवाद को बातचीत से जल्द सुलझाया जाएगा. इसके लिए दोनों देशों के बीच 20वीं बैठक भारत में होगी. दोनों देशों ने मिलकर सीमा विवाद सुलझाने के लिए गठित विशेष समिति की है, जिसके जरिए विवाद को सुलझाया जा सके. इस समिति में अजित डोभाल एक मुख्य सदस्य हैं. डोभाल पीएम मोदी के भरोसेमंद हैं, उन्होंने चीन-पाकिस्तान जैसे बड़े मामलों से निपटने के लिए उन्हें ही पूरी जिम्मेदारी दी है. डोभाल के एनएसए बनने के बाद सुरक्षा नीति पर भारत का रुख आक्रामक हुआ है. चाहे वह पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हो, या फिर म्यांमार में घुसकर आतंकियों को मारना. चीन के मुद्दे पर भी भारत इस बार आक्रामक रुख बनाए हुए है और झुकने को तैयार नहीं है.
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चीन का कहना है कि भारतीय सेना की सम्मानजनक वापसी अंतरराष्ट्रीय नियमों का सम्मान है. साथ ही चीन ने स्पष्ट कहा कि बीजिंग पर किसी प्रकार का कोई दायित्व नहीं है कि वह अपने सैनिकों को हटाए या फिर वहां पर सड़क निर्माण का कार्य रोके. भारत ने डोकलाम में सिक्किम की सीमा लांघी है और अपनी गलतियों को सुधारे.
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नई दिल्ली को भ्रम की स्थिति से निकलने की चेतावनी देते हुए चीन ने कहा कि पीएलए की सेना को सीमा पर तैनात कर दिया गया है और अगर भारत ने अपनी मर्जी से स्थान नहीं छोड़ा तो उसे ढकेलने के लिए वह कदम उठाएगी. साथ ही कहा कि पीएलए के एक्शन को न तो भारत सरकार, न ही भारत की सेना अफोर्ड कर पाएगी.
VIDEO : संसद में सुषमा स्वराज का तेजतर्रार बयान
चीन की ओर से यह ताजा बयान आया है और इसमें चीन ने भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पर भी निशाना साधा है. चीन ने डोभाल को इस पूरे गतिरोध के लिए जिम्मेदार बताया है. चीन ने डोकलाम में जारी गतिरोध पर कहा है कि भारतीय मीडिया यह उम्मीद लगाए बैठा है और यह माहौल बना रहा है कि जब अजित डोभाल ब्रिक्स देशों के एनएसए की बैठक में शामिल होने बीजिंग आएंगे तब इस गतिरोध का हल निकल जाएगा. ग्लोबल टाइम्स ने साफ कहा कि ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा है. इनका कहना है कि इस सम्मेलन में चीन और भारत के आपसी मुद्दों पर चर्चा नहीं होगी.
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अजित डोभाल की यात्रा से कुछ हाथ नहीं लगेगा : चीन ने साफ कर दिया है कि अजित डोभाल की यात्रा से कुछ हाथ नहीं लगेगा. चीन डोकलाम पर बिल्कुल कोई बात नहीं करेगा. डोकलाम पर कोई भी बातचीत के लिए पहली शर्त है कि भारत चीन की धरती से अपने सैनिक वापस बुलाए. यहां पर चीन ने एक बार फिर डोकलाम पर अपना दावा ठोका है और कहा है कि यह उसका इलाका है.
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भारतीय सेना की बिना शर्त वापसी ही चीन की वार्ता की अंतिम शर्त : चीन ने कहा कि भारत को किसी प्रकार के भ्रम में नहीं रहना चाहिए और इसलिए डोभाल की यात्रा को किसी भी प्रकार से डोकलाम विवाद के हल के रूप में न देखा जाए. उन्होंने यह भी कहा कि डोभाल को भी इस यात्रा के दौरान इस मुद्दे को नहीं उठाना चाहिए वरना उनके हाथ निराशा ही लगेगी. चीन ने साफ कहा कि भारतीय सेना की बिना शर्त वापसी ही चीन की वार्ता की अंतिम शर्त है. दोनों देशों के एनएसए इससे पहले पिछले साल नंवबर में मिले थे. सीमा विवाद को लेकर यह 19वीं बातचीत थी. तब यह तय हुआ था कि दोनों देशों के सीमा विवाद को बातचीत से जल्द सुलझाया जाएगा. इसके लिए दोनों देशों के बीच 20वीं बैठक भारत में होगी. दोनों देशों ने मिलकर सीमा विवाद सुलझाने के लिए गठित विशेष समिति की है, जिसके जरिए विवाद को सुलझाया जा सके. इस समिति में अजित डोभाल एक मुख्य सदस्य हैं. डोभाल पीएम मोदी के भरोसेमंद हैं, उन्होंने चीन-पाकिस्तान जैसे बड़े मामलों से निपटने के लिए उन्हें ही पूरी जिम्मेदारी दी है. डोभाल के एनएसए बनने के बाद सुरक्षा नीति पर भारत का रुख आक्रामक हुआ है. चाहे वह पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हो, या फिर म्यांमार में घुसकर आतंकियों को मारना. चीन के मुद्दे पर भी भारत इस बार आक्रामक रुख बनाए हुए है और झुकने को तैयार नहीं है.
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चीन का कहना है कि भारतीय सेना की सम्मानजनक वापसी अंतरराष्ट्रीय नियमों का सम्मान है. साथ ही चीन ने स्पष्ट कहा कि बीजिंग पर किसी प्रकार का कोई दायित्व नहीं है कि वह अपने सैनिकों को हटाए या फिर वहां पर सड़क निर्माण का कार्य रोके. भारत ने डोकलाम में सिक्किम की सीमा लांघी है और अपनी गलतियों को सुधारे.
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नई दिल्ली को भ्रम की स्थिति से निकलने की चेतावनी देते हुए चीन ने कहा कि पीएलए की सेना को सीमा पर तैनात कर दिया गया है और अगर भारत ने अपनी मर्जी से स्थान नहीं छोड़ा तो उसे ढकेलने के लिए वह कदम उठाएगी. साथ ही कहा कि पीएलए के एक्शन को न तो भारत सरकार, न ही भारत की सेना अफोर्ड कर पाएगी.
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