नई दिल्ली:
गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में समिति अध्यक्ष की मसौदा रिपोर्ट में उनकी भूमिका को काफी तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर दिए गए उनके सुझावों को जानबूझकर और शरारतपूर्ण तरीके से शामिल नहीं किया गया। एक बयान में चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जनवरी 2008 को भेजा गया उनका नोट 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए प्रवेश शुल्क से संबंधित नहीं था, बल्कि सिर्फ उपयोग शुल्क के बारे में था। उन्होंने कहा कि यहां तक कि सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति भी इस बात को समझ लेता। उन्होंने कहा, मुरली मनोहर जोशी की मसौदा रिपोर्ट 15 जनवरी 2008 के नोट को काफी तोड़-मरोड़कर पेश करती है। उसमें शरारतपूर्ण तरीके से टिप्पणी की गई है कि मैंने प्रधानमंत्री से दरख्वास्त की थी कि मामले को खत्म समझा जाए। चिदंबरम ने कहा, मसौदा रिपोर्ट यह नहीं कहती कि मामला क्या था। मसौदा रिपोर्ट में भावी लाइसेंस धारकों से शुल्क लेने के संबंध में दिए गए सुझावों को जानबूझकर और शरारतपूर्ण तरीके छोड़ दिया गया। मैं यह महसूस करने के लिये एक बार फिर बाध्य हो गया हूं कि औसत बुद्धि वाला व्यक्ति भी इस बात को समझ लेता कि नोट प्रवेश शुल्क के बारे में बिल्कुल भी नहीं था, लेकिन असल में ऐसा बता दिया गया है।
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