विज्ञापन
This Article is From May 31, 2019

देश के सामने खड़ी इन 5 चुनौतियों से जूझना है मोदी सरकार को, हर हाल में निकालना होगा रास्ता

नई सरकार का गठन हो चुका है और जो चुनौतियां उनसे जूझने का समय भी शुरू हो गया है. इनमें कुछ ऐसे मुद्दें हैं जिन पर विपक्ष सरकार को लोकसभा चुनाव में सरकार को घेर चुका है और जिनका असर आम आदमी पर प पड़ता है.

देश के सामने खड़ी इन 5 चुनौतियों से जूझना है मोदी सरकार को, हर हाल में निकालना होगा रास्ता
नई मोेदी सरकार ने गुरुवार को शपथ लिया है
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके साथ 57 मंत्रियों  ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ ली. मंत्रिमंडल में बीस नए चेहरे हैं, जबकि एक दर्जन पुराने नाम गायब हो गए हैं. कुल 24 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली. पुराने चेहरों में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और मेनका गांधी इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं है. नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र गिरिराज सिंह, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेशचंद्र पोखरियाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा भाजपा के ऐसे नेताओं में शामिल हैं जिनका दर्जा नई सरकार में बढ़ा है और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. पूर्वोत्तर भारत में भाजपा का चेहरा माने जाने वाले और अरुणाचल प्रदेश वेस्ट लोकसभा सीट से दो बार के सांसद किरेन रिजिजू का भी दर्जा नई सरकार में बढ़ा है. उन्हें राज्य मंत्री से राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिया गया है. दर्जा बढ़ने वाले मंत्रियों में गजेंद्र सिंह शेखावत भी हैं. उन्हें राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. 36 नेताओं ने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली. इसमें राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, स्मृति ईरानी, निर्मला सीतारमण, प्रकाश जावड़ेकर, रामविलास पासवान, डी वी सदानंद गौड़ा, नरेंद्र सिंह तोमर, रवि शंकर प्रसाद, हरसिमरत कौर बादल, थावर चंद गहलोत, हर्षवर्धन, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान और मुख्तार अब्बास नकवी सहित कई अन्य नेता शामिल हैं. फिलहाल नई सरकार का गठन हो चुका है और जो चुनौतियां उनसे जूझने का समय भी शुरू हो गया है. इनमें कुछ ऐसे मुद्दें हैं जिन पर विपक्ष सरकार को लोकसभा चुनाव में सरकार को घेर चुका है और जिनका असर आम आदमी पर  पड़ता है.

किसानों की समस्या
प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने का वादा किया है. लेकिन दूसरी ओर किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. बीते पांच सालों में मोदी सरकार के खिलाफ कई बड़े किसान आंदोलन हुए हैं. इतना ही नहीं खेती से जुड़े अन्य काम जो रोजी-रोटी की व्यवस्था करते हैं उनमें भी गिरावट आई है. भारत में करीब 55-57 फीसदी लोग खेती पर ही निर्भर हैं. लेकिन सालों से खेती में सुधार को लेकर कोई काम जमीन स्तर पर नहीं हो पाया है. हालांकि किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिलने लगे तो हालात में काफी हद तक सुधार किया जा सकता है. 

बेरोजगारी
देश इस समय बेरोजगारी के सबसे बुरे संकट से गुजर रहा है. आंकड़ों की मानें तो बीते 45 सालों में इतनी बड़ी बेरोजगारी का संकट आया है. इस संकट को दूर करने के लिए नए उपाय और विदेशी निवेश बढ़ाना होगा. हालांकि जिस तरह से मंदी की आहट दिखाई दे रही है. उससे विदेशी निवेश के दम पर बेरोजगारी दूर करना आसान नहीं होगा. 

मंदी की ओर जाती अर्थव्यवस्था
आंकड़ो में मोदी सरकार भले ही जीडीपी की दर थामने में सफल रही है लेकिन हालात उतने अच्छे नहीं है जितने दिखाई दे रहे हैं. सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल तेल आयात में 3.5 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है. माना जाता है कि भारत को अपनी तेल की जरूरतों का 80 फीसदी से ज्यादा आयात करना पड़ता है, ऐसे में तेल का आयात कम होने से मांग और खपत में सुस्ती रहने का संकेत मिलता है.वर्ष 2018 की शुरुआत में सुधार के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में फिर वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में सुस्ती देखी गई और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर घटकर 6.6 फीसदी पर आ गई. अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के कारण वित्त वर्ष 2019 में आर्थिक विकास दर अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर सात फीसदी कर दिया गया. योजना आयोग (इनर्जी) के एक पूर्व सदस्य ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, "तेल आयात की दर कम होने से भारत के तेल आयात बिल में कटौती होगी और इससे चालू खाता घाटा का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी लेकिन यह तेल के मौजूदा दाम का एक कारण होगा। अगर खाड़ी देशों में तनाव के कारण कच्चे तेल के दाम में उछाल आता है तो इससे देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार और सुस्त पड़ सकती है.

जीतना होगा अल्पसंख्यकों को दिल
पीएम मोदी के सामने इस बार भी कथित गोरक्षकों से मुस्लिम समुदाय को बचाना बड़ी चुनौती होगी. बीते 5 सालों में गोरक्षा के नाम पर मॉब लिचिंग जैसी कई घटनाएं हो चुकी हैं. हालांकि एनडीए के सांसदों को संबोधित पीएम मोदी ने कहा है कि "इस देश में वोटबैंक की राजनीति के उद्देश्य से बनाए काल्पनिक डर के ज़रिये अल्पसंख्यकों को धोखा दिया जाता रहा है. हमें इस छल का विच्छेद करना है. हमें विश्वास जीतना है." उन्होंने कहा, "अब हमारा कोई पराया नहीं हो सकता है... जो हमें वोट देते हैं, वे भी हमारे हैं... जो हमारा घोर विरोध करते हैं, वे भी हमारे हैं. लेकिन पीएम मोदी को सबसे पहले कट्टर दक्षिणपंथी संगठनों के उन कार्यकर्ताओं पर लगाम लगाना होगा जो आए दिन मुस्लिम समुदाय को निशाने पर लेते रहते हैं. 

कश्मीर, आतंकवाद और पाकिस्तान
पीएम मोदी ने इस बार अपने शपथग्रहण में पाकिस्तान को न्योता नहीं देकर अपने इरादे जता दिए हैं कि उनकी सरकार पहले की तरह इस पड़ोसी के देश साथ ढुलमुल नीति नहीं अपनाएगी. पीएम मोदी के सामने सीमापार से आतंकवाद को रोकना बड़ी चुनौती होगी. जिस समय शपथग्रहण समारोह हो रहा था उस समय भी जम्मू-कश्मीर के सोपोर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ जारी थी. 

नीतीश कुमार बोले- केंद्र में सांकेतिक भागीदारी की आवश्यकता नहीं है​

अन्य बड़ी खबरें : 

PM मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे शरद पवार, आखिर किस बात से थे नाराज?

धरने पर बैठीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बीजेपी पर लगाया गंभीर आरोप

शपथ ग्रहण के बाद PM मोदी बोले, नई टीम में ऊर्जा और प्रशासनिक अनुभव का मेल, देश की प्रगति के लिये काम करेंगे

क्या केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार के सामाजिक समीकरण को नजरअंदाज किया गया?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com